यम - दीपदान
( स्कन्दपुराण ) -
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशीको सायंकालके समय किसी पात्रमें मिट्टीके दीपक रखकर उन्हें तिलके तेलसे पूर्ण करे । उनमें नवीन रुईकी बत्ती रखे और उनको प्रकाशित करके गन्धादिसे पूजन करे । फिर दक्षिण दिशाकी ओर मुँह करके
' मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह । त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥'
से दीपोंका दान करे तो उससे यमराज प्रसन्न होते हैं । यह त्रयोदशी प्रदोषव्यापिनी शुभ होती है । यदि वह दो दिन हो या न हो तो दूसरे दिन करे ।