कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


कृष्णैकादशी

( ब्रह्मवैवर्त ) -

कार्तिक कृष्णकी एकादशीका नाम ' रमा ' है । इसका व्रत करनेसे सब पापोंका क्षय होता है । इसकी कथाका सार यह है कि - ' प्राचीन कालमें मुचुकुन्द नामका राजा बड़ा धर्मात्मा था । उसके इन्द्र, वरुण, यम, कुबेर और विभीषण - जैसे मित्र और चन्द्रभागा - जैसी पुत्री थी । उसका विवाह दूसरे राज्यके शोभनके साथ हुआ था । विवाहके बाद वह ससुराल गयी तो उसने देखा कि वहाँका राजा एकादशीका व्रत करवानेके लिये ढोल बजवाकर ढिंढोरा पिटवाता है और उससे उसका पति सूखता है । यह देखकर चन्द्रभागाने अपने पतिको समझाया कि ' इसमें कौन - सी बड़ी बात है । हमारे यहाँ तो हाथी, घोड़े, गाय, बैल, भैंस, बकरी और भेड़तकको एकादशी करनी पड़ती है और इतात्रिमित्त उस दिन उनको चारा - दानातक नहीं दिया जाता । यह सुनकर शोभनने व्रत कर लिया

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Last Updated : January 21, 2009

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