कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - नीराजनद्वादशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


नीराजनद्वादशी

( भविष्योत्तर ) -

कार्तिक कृष्ण द्वादशीको प्रातःस्त्रानसे निवृत्त होकर काँसे आदिके उज्ज्वल पात्रमें गन्ध, अक्षत, पुष्प और जलका पात्र रखकर देवता, ब्राह्मण, गुरुजन ( बड़े - बूढ़े ) , माता और घोड़े आदिका नीराजन ( आरती ) करे तो अक्षय फल होता है । यह नीराजन पाँच दिनतक किया जाता है ।

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Last Updated : January 21, 2009

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