सुखमनी साहिब - अष्टपदी ८

हे पवित्र काव्य म्हणजे शिखांचे पांचवे धर्मगुरू श्री गुरू अरजनदेवजी ह्यांची ही रचना.
दहा ओळींचे एक पद, आठ पदांची एक अष्टपदी व चोविस अष्टपदींचे सुखमनी साहिब हे काव्य बनलेले आहे.


( गुरु ग्रंथ साहिब पान क्रमांक २७२ )

श्लोक

मनि साचा मुखि साचा सोइ अवरु न पेखै एकसु बिनु कोइ ।
नानक इह लछण ब्रहम मिआनी होइ ॥१॥

पद १ ले

ब्रहम गिआनी सदा निरलेप ।
जैसे जल महि कमल अलेप ॥
ब्रहम गिआनी सदा निरदोख ।
जैसे सूरु सरब कउ सोख ॥
ब्रहम गिआनी कै द्रिसटि समानि ।
जैसे राज रंक कउ लागै तुलि पवान ॥
ब्रहम गिआनी कै धीरजु एक ।
जिउ बसुधा कोऊ खोदै कोऊ चंदन लेप ॥
ब्रहम गिआनी का इहै गुनाउ ।
नानक जिउ पावक का सहज सुभाड ॥१॥

पद २ रे

ब्रहम गिआनी निरमल ते निरमला ।
जैसे मैलु न लागै जला ॥
ब्रहम गिआनी कै मनि होइ प्रगासु ।
जैसे धर ऊपरि आकासु ॥
ब्रहम गिआनी कै मित्र सत्रु समानि ।
ब्रहम गिआनी कै नाही अभिमान ॥
ब्रहम गिआनी ऊच ते ऊचा ।
मनि अपनै है सभ ते नीचा ॥
ब्रहम गिआनी से जन भए ।
नानक जिन प्रभु आपि करेइ ॥२॥

पद ३ रे

ब्रहम गिआनी सगल की रीना ।
आतम रसु ब्रहम गिआनी चीना ॥
ब्रहम गिआनी की सभ ऊपारी मइआ ।
ब्रहम गिआनी ते कछु बुरा न भइआ ॥
ब्रहम गिआनी सदा समदरसी ।
ब्रहम गिआनी की द्रिसटि अंम्रितु बरसी ॥
ब्रहम गिआनी बंधन ते मुकता ।
ब्रहम गिआनी की निरमल जुगता ॥

पद ४ थे

ब्रहम गिआनी एक ऊपरि आस ।
ब्रहम गिआनी का नही बिनास ॥
ब्रहम गिआनी कै गरीबी समाहा ।
ब्रहम गिआनी परउपकार उमाहा ॥
ब्रहम गिआनी कै नाही धंधा ।
ब्रहम गिआनी ले धावतु बंधा ॥
ब्रहम गिआनी कै होइ सु भला ।
ब्रहम गिआनी सुफल फला ॥
ब्रहम गिआनी संगि सगल उधांरु ।
नानक ब्रहम गिआनी जपै सगल संसारु ॥४॥

पद ५ वे

ब्रहम गिआनी कै एकै रंग ।
ब्रहम गिआनी कै बसै प्रभु संग ॥
ब्रहम गिआनी कै नामु आधारु ।
ब्रहम गिआनी कै नामु पर वार ॥
ब्रहम गिआनी सदा सद जागत ।
ब्रहम गिआनी अहंबुधि तिआगत ॥
ब्रहम गिआनी कै मनि परसानंद ।
ब्रहम गिआनी कै घरि सदा अनंद ॥
ब्रहम गिआनी सुख सहज निवास ।
नानक ब्रहम गिआनी का नही बिनास ॥५॥

पद ६ वे

ब्रहम गिआनी ब्रहम का बेता ।
ब्रहम गिआनी एक संगि हेता ॥
ब्रहम गिआनी कै होइ अचिंत ।
ब्रहम गिआनी का निरमल मंत ॥
ब्रहम गिआनी जिसु करै प्रभु आपि ।
ब्रहम गिआनी का बड परताप ॥
ब्रहम गिआनी का दरसु बडभागी पाईऐ ।
ब्रहम गिआनी कउ बलि बलि जाईऐ ॥
ब्रहम गिआनी कउ खोजहि महेसुर ।
नानक ब्रहम गिआनी आपि परमेसुर ॥६॥

पद ७ वे

ब्रहम गिआनी की कीमति नाहि ।
ब्रहम गिआनी कै सगल मन माहि ॥
ब्रहम गिआनी का कउन जानै भेदु ।
ब्रहम गिआनी कउ सदा अदेसु ॥
ब्रहम गिआनी का कथिआ न जाइ अधाख्यरु ।
ब्रहम गिआनी सरब का ठाकुरु ॥
ब्रहम गिआनी की मिति कउनु बखानै ।
ब्रहम गिआनी की गति ब्रहम गिआनी जानै ॥
ब्रहम गिआनी का अंतु न पारु ।
नानक ब्रहम गिआनी कउ सदा नमसकारु ॥७॥

पद ८ वे
 
ब्रहम गिआनी सभ स्त्रिसटि का करता ।
ब्रहम गिआनी सद जीवै नही मरता ॥
ब्रहम गिआनी मुकति जुगति जीअ का दाता ।
ब्रहम गिआनी पूरन पुरखु बिधाता ॥
ब्रहम गिआनी अनाथ का नाथु ।
ब्रहम गिआनी का सभ ऊपरि हाथु ॥
ब्रहम गिआनी का सगल अकारु ।
ब्रहम गिआनी आपि निरंकारु ॥
ब्रहम गिआनी की सोभा ब्रहम गिआनी बनी ।
नानक ब्रहम गिआनी सरब का धनी ॥८॥

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Last Updated : December 28, 2013

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