सुश्रुत n. एक सुविख्यात शल्यचिकित्साशास्त्रज्ञ, जो ‘सुश्रुत संहिता’ नामक विख्यात ग्रंथ का रचयिता माना जाता है । यह गाधि राजा का पौत्र, एवं विश्वामित्र का पुत्र था
[म. अनु. ४.५५] । यह शल्यचिकित्सा के आद्य आचार्य धन्वन्तरि दिवोदास के सात शिष्यों में से एक प्रमुख शिष्य था
[गरुड. १.१७५] । अन्य पुराणों में इसे शालिहोत्र का शिष्य कहा गया है
[अग्नि. २९२.४४] ।
सुश्रुत n. आयुर्वेदीय शल्यचिकित्साशास्त्र का आद्य आचार्य धन्वन्तरि दिवोदास माना जाता है, जिसके सात शिष्यों ने मिल कर आयुर्वेदीय ‘शल्यचिकित्सापद्धति’ का सर्वप्रथम प्रसार किया । इन शिष्यों में से सुश्रुत ही एक आचार्य ऐसा है कि, जिसका ‘सुश्रुत-संहिता’ नामक ग्रंथ आज उपलब्ध है । इस ग्रंथ में, आचार्य धन्वन्तरि से प्राप्त शल्यमूल आयुर्वेदीय ज्ञान इसने तंत्ररूप में संग्रहित किया है । यह ग्रंथ पूर्वतंत्र एवं उत्तरतंत्र नामक दो भागों में विभाजित किया गया है । उपलब्ध ‘सुश्रुत संहिता’ से प्रतीत होता है कि, सुश्रुत के द्वारा विरचित आद्य ‘सुश्रुत-संहिता’ के प्रतिसंस्करण का कार्य नागार्जुन के द्वारा हुआ था
[सु. सं. वि. ३.१३] । ‘वृद्ध सुश्रुत’ नामक और एक संहिता उपलब्ध है, जो संभवतः इसके उत्तरकालीन किसी आचार्य की रचना होगी।
सुश्रुत n. सुश्रुता संहिता में, औपधेनेव नामक धन्वंतरि के और एक शिष्य का निर्देश समवर्ती आचार्य के नाते प्राप्त है
[सु. सं. सू. ४.९] । इसके साथ ही उरभ्र पौष्कलावत्, करवीर्य, वैतरण आदि धन्वंतरिशिष्यों का भी निर्देश भी इसके ग्रंथ में प्राप्त है ।
सुश्रुत n. इसके पुत्रपौत्रादि संतानों का निर्देश वाग्भट
[अ.सं.सू. पृ. १५२] ; कात्यायन
[महाभाष्य १. पृ. ४०६] ; एवं पाणिनि
[पा. सू. ६.२.३६ कार्तकौजपादिगण] ; आदि में प्राप्त है ।
सुश्रुत II. n. (सू. निमि.) एक राजा, जो ब्रह्मांड के अनुसार सुवर्चस् राजा का पुत्र, एवं जय राजा का पिता था
[ब्रह्मांड. ३.६४.२१] । विष्णु में इसे सुभाष राजा का पुत्र कहा गया है
[विष्णु. ४.५.३१] ।