-
सुमित्रा
Meanings: 20; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 5.971671 | Lang: NA
-
ਸੁਮਿੱਤਰਾ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.35057 | Lang: NA
-
سُمِتٛرا
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.323078 | Lang: NA
-
ସୁମିତ୍ରା
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.122548 | Lang: NA
-
સુમિત્રા
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.122548 | Lang: NA
-
সুমিত্রা
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.7890288 | Lang: NA
-
சுமித்ரை
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.220079 | Lang: NA
-
సుమిత్ర
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.220079 | Lang: NA
-
ਸੁਮਿਤਰਾ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.220079 | Lang: NA
-
سُمٕترٛا
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.220079 | Lang: NA
-
ಸುಮಿತ್ರಾ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.220079 | Lang: NA
-
സുമിത്ര
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1650592 | Lang: NA
-
मित्री
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.03267252 | Lang: NA
-
सुमित्रातनय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02450439 | Lang: NA
-
सुमित्राभू
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.02042032 | Lang: NA
-
सवती आवय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01429423 | Lang: NA
-
लक्ष्मणप्रसू
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.01429423 | Lang: NA
-
सौमित्र
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.008168129 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - दशमो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.007147113 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - दशमो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.007147113 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - तृतीयो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.006126097 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - तृतीयो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006126097 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - अष्टमो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006126097 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - अष्टमो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.006126097 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - लक्ष्मण स्तुति १
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.005775739 | Lang: NA
-
तुलसीदास कृत दोहावली - भाग ९
रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.
Type: PAGE | Rank: 0.005775739 | Lang: NA
-
मित्रा
Meanings: 18; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.005105081 | Lang: NA
-
शुक्रवार की आरती
आरतीमे उस उपास्य देवताकी स्तुती की जाती है, जिसकी पूजा या व्रत किया जाता है ।
Type: PAGE | Rank: 0.005105081 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - चतुर्थो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.005105081 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - चतुर्थो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.005105081 | Lang: NA
-
श्रावणमास: - पिठोराव्रताङ्गोवृषपूजाविधि:
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
Type: PAGE | Rank: 0.00442113 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - नवमो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - नवमो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - षष्ठो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
लावणी - अरे बाळपणीच्या मित्रा । ...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
बालकाण्डम् - काव्य २७ ते ५०
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - षष्ठो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - प्रथमो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
मानसगीत सरोवर - जा झडकरी बा बलभीमा ये घेऊ...
भगवंताच्या लीला, त्याचे स्वरूप, अवतारकृत्ये व प्रत्येक अवतारातील अनेकविध प्रसंग, यावर आधारीत भजनांचा संग्रह, म्हणजेच मानसगीत सरोवर.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - सप्तमो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
श्रीभानुदासांचे अभंग - काला
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्री कृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - प्रथमो मयूखः
जयदेवेन रचितः अलङ्कारग्रन्थः । अलङ्कारशास्त्रग्रन्थेषु "चन्द्रालोक"वत् सरलं सुन्दरं सह्रुदयचित्ताकर्षकं च ग्रन्थरत्नं नान्यत् दृश्यते इति नातिशयोक्तिः ।
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
मण्डल १० - सूक्तं ६९
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - शत्रुघ्न स्तुति
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
चन्द्रालोकः - सप्तमो मयूखः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004084065 | Lang: NA
-
बालकांड - रामजन्म सोहळा
श्रीरामचरितमानस या ग्रंथातील निवडक रसपूर्ण दोहे व चौपाया यांचा मुक्त अनुवाद.
Type: PAGE | Rank: 0.003609837 | Lang: NA
-
अयोध्याकांडम् - काव्य १५१ ते २००
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
Type: PAGE | Rank: 0.003609837 | Lang: NA
-
क्रीडा खंड - अध्याय २८
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
Type: PAGE | Rank: 0.003573556 | Lang: NA
-
रामज्ञा प्रश्न - सप्तम सर्ग - सप्तक ३
गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।
Type: PAGE | Rank: 0.003573556 | Lang: NA
-
मुमुक्षुवैराग्यप्रकरणम् - सर्ग दुसरा
‘ योगवासिष्ठ ’ एक प्राचीन ग्रंथ. Yoga Vasistha is famous as one of the historically popular and influential texts of Hinduism.
Type: PAGE | Rank: 0.003573556 | Lang: NA