-
वास्तुशास्त्रः
वास्तुशास्त्रानुसार वास्तुची रचना केल्यास निश्चितच फळ मिळते.
Type: INDEX | Rank: 0.9507587 | Lang: NA
-
वास्तुशास्त्र
वास्तुशास्त्र एक ऐसा शास्त्र है, जो अनुभव किया जा सकता है ।
Type: INDEX | Rank: 0.9507587 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय १७
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय पाँचवा
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ चतुस्त्रिंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथैकोनत्रिंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय दूसरा - श्लोक १०१ से १२०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १२१ ते १४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ षोडशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ सप्तदशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
त्रयोदशोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ३०
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय नववाँ - श्लोक २१ से ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
दशमोध्यायः - श्लोक ८१ ते १०५
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय ग्यारहवाँ
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
पञ्चमोऽध्यायः - श्लोक २०१ ते २२०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ४
असुरराज ’मय’ के मयमतम् ग्रंथमे विद्वानों, देवों एवं मनुष्योंके संपूर्ण भवनलक्षणोंका वर्णन प्रस्तुत किया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ त्रयोदशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम्
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय तेरहवाँ - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाशः - एकादशोऽध्यायः
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
षष्ठोऽध्यायः - श्लोक ८१ ते १००
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय तीसरा - श्लोक ४१ से ७०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय छठा - श्लोक ८१ से १००
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय दूसरा
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
त्रयोदशोऽध्यायः - श्लोक १०१ ते ११३
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय नववाँ - श्लोक ४१ से ४७
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय तीसरा
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय १४
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ षष्ठोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ चतुर्विंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय छठा
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
पञ्चमोऽध्यायः - श्लोक २४१ ते २६२
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाशः - नवमोऽध्यायः
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ८
असुरराज ’मय’ के मयमतम् ग्रंथमे विद्वानों, देवों एवं मनुष्योंके संपूर्ण भवनलक्षणोंका वर्णन प्रस्तुत किया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय २
असुरराज ’मय’ के मयमतम् ग्रंथमे विद्वानों, देवों एवं मनुष्योंके संपूर्ण भवनलक्षणोंका वर्णन प्रस्तुत किया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय छठा - श्लोक १०१ से १२०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
चतुर्थोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय १०
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ तृतीयोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय पाँचवा - श्लोक १६१ से १८०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ३३
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय पाँचवा - श्लोक १०१ से ११३
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाशः - सप्तमोऽध्यायः
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
अध्याय ग्यारहवाँ - श्लोक २१ से ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय चवथा
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
सप्तमोऽध्यायः - श्लोक ४१ ते ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - विषयानुक्रमणिका
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १८१ ते १९७
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाशः - अथ विषयानुक्रमणिकाः
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8319138 | Lang: NA