प्रद्युम्न n. एक राजा, से चक्षुर्मनु के बारह पुत्र में से एक था । इसकी माता का नाम नड्वला
[भा.४.१३.१६] । इसे ‘सुद्युम्न’ नामांतर भी प्राप्त है ।
प्रद्युम्न II. n. (सू. निमि.) एक राजा, जो वायु के अनुसार भानुमत् राजा का पुत्र था ।
प्रद्युम्न III. n. (सो. क्रोष्टु.) एक सुविख्यात यादव राजा, जो सनत्कुमार के अंश से भगवान् कृष्ण को रुक्मिणी से उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.९१] । यह श्रीकृष्ण का तीसरा स्वरुप माना जाता है
[म.अनु.१५८.३९] ।
प्रद्युम्न III. n. यह मदन का अवतार था, जिसने शंबरासुर का वध करने के लिए रुक्मिणी की कोख में जन्म लिया था । शंबरासुर की पत्नी मायावती, पूर्वजन्म में इसकी पत्नी रति थी । पूर्वजन्म में मदन की मृत्यु के उपरांत, इसकी पत्नी रति को शंबरासुर भगा लाया, इसी का बदला लेने के लिए इसे अवतार लेना पडा ।
प्रद्युम्न III. n. शंबरासुर को जैसे ही ज्ञात हुआ कि मदन ने उसका वध करने के हेतु प्रद्युम्न के रुप में रुक्मिणी के उदर में जन्म लिया हैं, वह तत्काल सूतिकागृह में जा कर छः दिन के शिशु प्रद्युम्न को लेकर भागा, तथा इसे ले जाकर समुद्र में फेंक कर निश्चिंत हो गया । दैवयोग से इसे एक मछली ने निगल लिया, तथा यह वहॉं उसके पेट में भी जीवित रहा । मछली एक मछुए को मिली । मछुए ने अच्छी मछली देखकर उसे शंबरासुर को भेंट की ।
प्रद्युम्न III. n. खुशी घर आया तथा उक्त मछली को अपनी स्त्री मायावती को दे दी । जैसे ही मायावती ने मछली काटी वैसे ही उसमें एक दिव्य बालक को देखकर वह आश्चर्य-चकित हो गयी, एवं उसके मन में विभिन्न शंकाएँ उठने लगी । उसी क्षण भ्रमण करते हुए नारद वहॉं आ पहुँचे तथा उन्होने मायावती की शंका का समाधान करते हुए कहा, ‘यह दिव्य बालक साधारण न होकर साक्षात मदन है, जिसने इस जन्म में रुक्मिणी के उदर में जन्म लिया है । पूर्वजन्म में तुम इसकी पत्नी रति थीं, अतः तुम इसकी सेवा करो । यह तुम्हारा पति है ।’ नारद के बचनों का विश्वास करके, मायावती अत्यधिक आनन्दित हुयी । उसने बालक प्रद्युम्न को पाल-पोस कर बडा किया, तथा सारी विद्याओं में उसे पारंगत कराया । कालान्तर में बडे होने के बाद इसका और शंबरासुर का युद्ध हुआ, जिसमें इसने शंबरासुर का वध किया । पश्चात् अपनी भार्या को पुनः प्राप्त कर,यह उसके साथ रुक्मिणी से मिलने गया
[विष्णु.५.२६] ;
[ह. वं.२.१०४-१०७] ;
[भ.१०.५५] । हरिवंश में, यह कथा कुछ इसी प्रकार दी गयी है, अन्तर केवल इतना है कि, शंबरासुर ने शिषु प्रद्युम्न को समुद्र में न फेंक कर, उसे मायावती को दे दिया, क्योंकि निःसंतान होने के कारण वह दुःखित थी । ब्रह्मवैवर्त पुराण में प्राप्त कथा हरिवंश से मिलती जुलती है । अन्तर केवल इतना है कि, प्रद्युम्न के बडे हो जाने पर एक दिन सरस्वती मायावती के पास आयी और उसने ही शंबरासुर के पूर्वकृकृत्यों का लेखा जोखा प्रद्युन तथा मायावती के सम्मुख प्रस्तुत किया उस कारण प्रद्युम्न ने शंबरासुर का वध किया
[ब्रह्मवै.४.११२] ।
प्रद्युम्न III. n. प्रद्युम्न यादव सेना का महारथि था
[भा.१०.९०.३३] । कृष्ण ने राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का वध किया था । उसने क्रुद्ध होकर अपने मित्र शिशुपाल का बदला लेने के लिये, शाल्व ने बडे जोर शोर से कृष्ण की द्वारका पर चढाई कर दी । युद्ध की विकरालता को देख कर, यादवसेना घबरा गयी । तब इसने यादवसेना का नेतृत्व कर बडे पराक्रम के साथ शाल्व का मुकाबला किया
[म.व.१६.३०-३२] ;
[म.व.१७] । युद्ध करते करते यह युद्धभूमि में मूर्च्छित हो गया
[म.व.१७.२२] । इसका सारथि सूतपुत्र दारुक इसे रणभूमि से हटा कर ले गया
[म.व.१८.३] । ठीक जो जाने पर, यह पुनः युद्धभूमि में आ उठा, और घमासान युद्ध करके अपने शत्रुनाशक अद्भुत बाण से शाल्व को परास्त किया
[म.व.१५.१६.२०] ;
[भ.१०.७६.१३] । युधिष्ठिर द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में, इसने उसकी काफी सहायता की थी, और यह हस्तिनापुर आया था
[म.आश्व.६५.३] । यही नहीं, अश्वरक्षण के लिए यह ससैन्य अर्जुनादि के साथ देशविदेश गया था
[जै.अ.१२] । कालान्तर में, यादववंशीय लोग आपस में एक दूसरे से लडने लगे, जिससे कि उनमें वह शक्ति न रह गयी जो पूर्व थी । मौसल युद्ध में उनका भोजों के साथ युद्ध हुआ, जिसमें प्रद्युम्न की मृत्यु हो गयी
[म.मौ.४.३३] ;
[भा.११.३०.१६] ;
[गणेश. १.४९] । मृत्योपरांत यह सनत्कुमार के स्वरुप में प्रविष्ट हो गया
[म.स्व.५.११] ।
प्रद्युम्न III. n. इसे शतद्युम्न नामांतर भी प्राप्त है । मायावती के अतिरिक्त, रुक्मिन् की कन्या रुक्मवती अथवा शुभांगी इसकी दूसरी पत्नी थी
[भा.१०.६१.१८,९०.१६] । जिसने स्वयंवर में इसका वरण किया था
[ह.वं.२.६१.४] । रुक्मवती (शुभांगी) से इसे अनिरुद्ध नामक पुत्र था
[म.भी.६५.७१] । वज्रनाभ दैत्य की कन्या प्रभावती इसकी तीसरी पत्नी थी, जिसका इसने हरण किया था
[ह.वं.२.९०.४] । इस कारण वज्रनाभ का भई निकुंभ से इसका युद्ध हुआ था । प्रद्युम्न से बदला लेने के लिये, निकुंभ ने भानु यादव की कन्या भानुमती का हरण किया । इससे क्रुद्ध हो कर कृष्णार्जुन ने निकुंभ पर हमला किया, जिसमें वह भी निकुंभ के विपक्ष में था । इस युद्ध में इसने अपने मायावी युद्धकौशल का अच्छा परिचय दिया । अन्त में निकुंभ श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया
[ह.वं.२.९०-९१] ।