पैंग्य n. एक तत्त्वज्ञ जो कौषीतकियों से सम्बद्ध ऋग्वेदिक परम्परा का गुरु, एवं याज्ञवल्क्य का शिष्य था
[बृ.उ.३.७.११] । एक अधिकारी विद्वान् के रुप में, ‘कौषीतकि ब्राह्मण’ में अनेक बार इसका उल्लेख आया है
[कौ. ब्रा.८.९.१६.९] । ‘कौषीतकि उपनिषद्’ में इसे आचार्य कहा गया है
[कौ. उ.२.२.१] । आपस्तंब श्रौतसूत्र में इसका उल्लेख ‘पैंगायणी’ नाम से किया गया है
[आ.श्रौ.५.१५.८] । शतपथ ब्राह्मण में, इसका नाम मधुक दिया गया है एवं पैंग्य इसक पैतृक नाम बताया गया है
[शं.ब्रा.१२.२.२४,११.७.२.८] । ‘पैंग्य’ शब्द से एक व्यक्ति को बोध होता है अथवा अनेक का, यह कहना असम्भव है । इसके सिद्धान्त को पैंग्य-मत कहते है
[कौ.ब्रा.३.१.१९.९] । प्रवर्तन के समान, यह भी प्राण को ब्रह्म माननेवाला था । काशिकाकार ने प्राचीन कल्पों की श्रेणी में पैंगी तथा अरुणपराजी और नवीन कल्पों की श्रेणीं में अश्मरथ को उद्धृत किया है । सांख्यायन ब्राह्मण में अनेक स्थानों पर यज्ञकर्मौ में इसका मतों को स्वीकार किया गया है
[सां.ब्रा.२६.४] । आश्वलायन गृह्यसूत्र के ब्रह्मयज्ञांगतर्पण में इसका उल्लेख है। पौर्णिमा इष्टि तथा आमवास्या इष्टि के विषय में पैंग्य तथा कौशीतकि के मतों में विभिन्नता है
[ऐ. ब्रा.७.१०] । निदानसूत्रनिदानसूत्र एवं अनुपदसूत्रों में इसके अनुगामियोंको ‘पैंगिनि’ कहा गया है
[निदा.४.७] ;
[म.अनु.१.८] । इसके शिष्यों मे चूड भागवित्ति प्रमुख था ।
पैंग्य n. पैंग्य के नाम से निम्न लिखि ग्रन्थ प्राप्त हैः---१. पैंग्यायन (नि) ब्राह्मण, जिसका निर्देश बौधायन श्रौतसूत्र में किया गया है
[बौ.श्रौ.२.७] ;
[आ.श्रौ.५.१५.८] ; २. पैंगलीकल्प, जिसका निर्देश जैन शाकटायन की ‘चिन्तामणिवृत्ति’ में किया गया है
[चिंतामणि.३.१.७५] ; ३. पैंगलोपनिषद्, ४. पैंगिरहास्य ब्राह्मण ५. पैंग्य स्मृति
पैंग्य II. n. एक ऋषि, जो युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित था
[म.स.४.१५] । पाठभेद (भांडारकर संहिता)---‘पैंग’