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नागोशीकृत सीतास्वयंवर
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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प्रस्तावना.
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम
संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे १ ते ५०
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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वामन पंडित - सीता स्वयंवर
कवी वामनपंडितांचे काव्य वाचन म्हणजे स्वर्गीय सुख.
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सीतास्वयंवर
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
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सीतास्वयंवर
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पदे ४०१ ते ४१५
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे ५१ ते १००
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे १०१ ते १५०
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम
संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे २५१ ते ३००
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे ३०१ ते ३५०
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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पदे ३५१ ते ४००
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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झीबी
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सुंठ मोडणें
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दांत वासून पडणें
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दहाट
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मूळ धाडणें
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उलाळ
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करपुष्कर
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कलथणें
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बाहुलें
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जिअणें
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दचक
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कडाडणें
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ताले
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चैत्र वद्य १४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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कांसव
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कासव
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ओप
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मासा
Meanings: 25; in Dictionaries: 5
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महाराष्ट्र शब्दकोश - ग्रंथसंक्षेप सूची
महाराष्ट्र शब्दकोश - ग्रंथसंक्षेप सूची
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निधा
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तम
Meanings: 35; in Dictionaries: 13
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वैशाख शुद्ध ६
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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अध्याय चाळीसावा - श्लोक १५१ ते २०९
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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अध्याय सातवा - श्लोक २०१ ते २५९
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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दश
Meanings: 36; in Dictionaries: 8
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दांत
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मार्कंडेय
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चूडामणिसुत
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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गर्भ
Meanings: 129; in Dictionaries: 13
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॥सोपान॥ १११
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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अंग
Meanings: 240; in Dictionaries: 9
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राम
Meanings: 222; in Dictionaries: 12
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विठोबा अण्णा दफ़्तरदार
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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