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संतमालिका - शिवराम
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
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शिवराम
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शिवराम हरि राजगुरु
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शिवराम हरी राजगुरु
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शिवराम हरी राजगुरू
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ससरा
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विखीं
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घागरमाळ
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घागरमाळा
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घागुरमाळ
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घागुरमाळा
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समेळ
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श्यामची आई - रात्र पाचवी
’ श्यामची आई’ हे पुस्तक सुंदर, सुगंधी आणि सुरसच नसून, हृदयातील सारा जिव्हाळा यात साने गुरूजींनी ओतलेला आहे.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - प्रस्तावना
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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तहकीक
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संगीत मृच्छकटिक - प्रस्तावना
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय चौदावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय दहावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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शिवरामस्वामी कल्याणकर
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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शिवरामस्वामिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय सतरावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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साटी
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय अकरावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय तेरावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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नानासाहेब पेशव्यांचा पोवाडा - धन्य भगवाना नेलास मोतीदाण...
पोवाडा म्हणजे इतिहासाचे एक साधन. पोवाडा नेहमी समकालीन साक्षीदाराप्रमाणे विश्वसनीय असतो.
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वामन नानाजी देशपांडे
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय पंधरावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय पहिला
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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चित्रापुरगुरुपरंपरा - सद्गुरुंची आरती
सुबोधाचा भाग तर अमोल आहे. तशीच प्रश्नोत्तरी ही ह्या गुरुचरित्राचें अपूर्व वैशिष्ट्य होय.
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संतमालिका - जयरामसुत
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय अठरावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय बारावा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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स्कंध १ ला - अध्याय १ ला
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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संतनामावळी
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
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अध्याय ५० वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्री गजानन विजय - अध्याय १८
भक्तांना व जनतेस श्री गजानन महाराजांच्या सहवासानें, मनःशांति मिळे व ईश्वरी लीला कळून येऊन उत्तम सदुपदेशाचा लाभ होई.
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श्री किनाराम अघोरी
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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स्फुट पदें - पदे १४१ ते १५०
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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प्रस्तावना - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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सिद्धारुढस्वामी - प्रकरण १९
प्रस्तुत ग्रंथ श्री कबीरदासस्वामी यांनी रचिला आहे . श्री सिद्धारूढस्वामी हे खरे सद्गुरू आहेत .
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स्कंध १२ वा - अध्याय १३ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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॥लळीत॥ आत्मकृत
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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मौनीस्वामी
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय दुसरा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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कथाकल्पतरू - स्तबक ८ - अध्याय १
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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चित्रापुरगुरुपरंपरा - प्रस्तावना
सुबोधाचा भाग तर अमोल आहे. तशीच प्रश्नोत्तरी ही ह्या गुरुचरित्राचें अपूर्व वैशिष्ट्य होय.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय सातवा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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॥पटळ॥ ११४
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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बाल-वृद्ध संवाद - शाळा सुटली कटकट मिटली बाळ...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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॥प्रसंग॥ १०२
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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