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मयूरध्वज
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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मयूरध्वज
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ताम्रध्वज
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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पञ्चश्लोकि गणेशपुराणम् - श्रीविघ्नेशपुराणसारमुदितं...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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पांडवप्रताप - अध्याय ६१ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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शिखिध्वज
Meanings: 12; in Dictionaries: 6
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कुमुद्वती
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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संतनामावळी
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
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खंड ६ - अध्याय २९
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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लीलावती
Meanings: 40; in Dictionaries: 9
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संतमालिका - उद्धवचिद्धन
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
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खंड ६ - अध्याय १३
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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चैत्र कृष्णपक्ष व्रत - संकष्टचतुर्थीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ५८
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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खंड ६ - अध्याय ३०
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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खंड ६ - अध्याय ४१
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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मयूरध्वजाख्यान - मयूरध्वजाख्यान
कीर्तनासंबंधी ज्ञान संपादन करून, नंतर स्वार्थ वा परमार्थ संपादन व्हावा या उद्देशाने कीर्तन करून लोकांस ज्ञान सांगण्यासाठी कीर्तनकार आख्यान लावतात.
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संकेत कोश - संख्या १०
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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बृहत्संहिता - अध्याय ५८
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय १९
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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उत्तरार्ध - अध्याय ४३ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय ३१ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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भूत
Meanings: 308; in Dictionaries: 12
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१०
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मयमतम् - अध्याय ३६
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
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