जसोदा मैया काहेन मंगल गावे ॥टेक ॥
पूरन ब्रह्मा सकल अविनासी सो तेरी धेनु चरावे ॥१॥
कोटि कोटि ब्रह्मांडके भरता जप तप ध्यान न आवे ।
न जानो यह कौन पुन्य है जसोमति गोबंद खेलावे ॥२॥
शिवसनकादि आदि ब्रह्मादिक निगम नेती जस गावे ।
शेष सहस्त्र मुख रटत निरंतन जो जाको पार न पावे ॥३॥
सुंदर बदन कमलदल लोचन गौधनके संग आवे ।
मत जसोदा करत आरती कबीरा दरसन पावे ॥४॥