सुनो सखीरी मोरी पाडपडोसन तेने मोरो नेहा बिघाडियो तेने मोरो कंथ बिघाडीयोरी ॥ध्रु०॥
सुनो ननदिया सुनो सखनिया सुनो नटकी निरगुनी ।
यारी मेरे ललना सुनोरे रसनियां कमनया बिघडी पंची बेहनीयारी । सुनो० ॥१॥
जो मे पोकारूं राजा रामजीके आगे तो ये धर पकड मंगारी ।
मुख मुंडाले नगर सब फिरवूं उलटे गधे चराऊंरी । सुनो०॥२॥
आदि अंतको धरम न ज्याना कहे तो ये बीर पाढपओरी ।
धर घर ध्यान मुनड सेथी टालूं ऐसी तोहारी होनरी । सुनो०॥३॥
सासकी दुखियां ससरेकी प्यारी खायो पिया जुग हुईरी ।
नंनद दोहेली और गरबकी माता बरे आंकी पीड मरत हुईरी । सुनो०॥४॥
ये मनछा येरे आंदिर बीच गाडू जुग बहुत बढाईरी ॥५॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु तब करतुक मिट जाईरी ॥६॥