बनमें भूली परीरे बंजारनी । अकेली भूली परीरे बंजारनी ॥ध्रु०॥
पिया छोड दरावके बलगयो मैं अकेली निरधारगी ॥ बन०॥१॥
ना तरुवरना कोकिला वा रखी अकेली जुहुरत कामनी ॥ बन०॥२॥
मेरे पियाने कदर न जानी । सारी रेन अकेली दरावनी ॥ बन०॥३॥
कहत कबीरा सुनो भाई साधु पिया प्रेमकी गत हरावनी ॥ बन०॥४॥