आप आपकू बुझ नही । तनमनकू खोया नही ।
मन मले सो धोया नही । स्नान किया सो क्या हुआ ॥१॥
करणी करे बदकामी । नजर रखे हरामी ।
बदफैल निकामी । संध्या किया सो क्या हुआ ॥२॥
गोवा किया जंजालका । जो कोई जर जारका ।
आया तीर्थ द्वारका । छापा लिया सो क्या हुआ ॥३॥
कुता हुवा मालका । कठीन कठोरा दिलका ।
अभय चाड भय लोका । काशी गया सो क्या हुवा ॥४॥
गुरुकू शरन नहीं गया । मा बापसे जुदा रह्या ।
औरत लेके न्यारा रह्या । गया गया सो क्या हुवा ॥५॥
जिनके तो सुबुद्धि नहीं । अंतकालकी शुद्धि नहीं ।
जबलग गुरुमुख देखा नहीं । जोगी हुवा सो क्या हुआ ॥६॥
लालुचकी बरी बुट्टी नही । हृदयीं दया पोटीं नहीं ।
भेदभ्रांती तुटी नहीं । पंडत हुवा सो क्या हुवा ॥७॥
दया धरम जाने नहीं । सत्करम समजे नहीं ।
आप आपकूं बुज नहीं । संन्यास लिया सो क्या हुआ ॥८॥
अहंकार बुडा नहीं । शांतीमों मन गढा नहीं ।
ब्रह्मरूप मन जडा नहीं । गीता पढे सो क्या हुआ ॥९॥
जीस पितरकू सुख नही । जननीकू आस नही ।
जीस चांडालकु दया नहीं । तरपन किया सो क्या हुवा ॥१०॥
संसार किया जंजाल है । बदफैलका बजार है ।
कामीन गलेका हार है । कीर्तन कियासो क्या हुआ ॥११॥
दिलमें तो खुप रखी । हृदय करे जिकरकी ।
गठडी बांधे फिकीरकी । फकीर हुआ सो क्या हुआ ॥१२॥
मांगीन त्यागी नही । तीर्या जोत जागी नहीं ।
उन्मनी समाधी लगी नही । साधु हुवासो क्या हुवा ॥१३॥
इस बाबत कबित कहे । जिस रामनामका सवास है ।
आसपास सब राम भरा है । फिर दो हुआ सो क्या हुआ ॥१४॥