मैं गुलाम मैं गुलाम मैं गुलाम तेरा । तूंचि मेरा सच्चा साई नाम लेऊं तेरा ॥ध्रु०॥
रूप नहीं रंग नही नही बरन छाया । निर्विकार निर्गुनही तूंचि रघुराया ॥१॥
एक रोटी दे लंगोटी द्वार तेरा पावूं । काम क्रोध छोङकर हरीगुन गाऊं ॥२॥
मेहरबान मेहरबान मेहेर करो मेरी । दास कबीर चरन खडा नजर देख तेरी ॥३॥