अब दहि ले तूं अब दहिं ले । दहिं ले दधियां ले श्याम ॥ध्रु०॥
कोरे कोरे मटकीमें दहियां समावे ॥ अब चखले तूं अब चखले ।
दहिंज खावे श्याम ॥ अ०॥१॥
ब्रिंदावनमें गौंवा पुकारे अब सुन ले तूं ।
अब सुनले सुना ले श्याम ॥ अ०॥२॥
गगनमंडळ बिच गुरुरा अघुला ।
अब झुल ले झुलाले श्याम ॥ अ०॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधुजन ।
अब मिलले तूं अब मिल ले मिला ले श्याम ॥ अ०॥४॥