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स्तनपान
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سیٖنُک دۄد چاونٕچ عمَل
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स्तनपानम्
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दूद पाजोवप
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ಸ್ತನ್ಯಪಾನ
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سیٖنُک دۄد چیٚنٕچ عمَل
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स्तन-पान
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लुचौचे
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अंगावर पिणें
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चिरटोळी
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अंगावरचें
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अंगावर घेणें
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अंगावरचें तोडणे
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परियंदणे पर्यंदणें
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वोसंग
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पूतना मावशी
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ऐनेर
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ऐनेरें
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suckling
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लुंचणे
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लुचणे
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lactation
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तान्हा
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गणपतीची आरती - गजवदना मन नमले पाहुनियां ...
Ganapati Arati - Prayer to Lord Ganesha गणपतीची आरती - गजवदना मन नमले
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प्रभंजन
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आदिखंड - इतिचत्वारो खानि
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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जातकर्म संस्कार
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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बालक्रीडा - अभंग १७१ ते १७५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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शुकाख्यान - अभंग ७६ ते १००
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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श्रावण व. अष्टमी
Shravana vadya Ashtami
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तुकारामकन्या भागूबाई
संतांची चरित्रे नेहमीच प्रेरणादायी असतात.
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भारुड - यलमा - यलमा आली यलमा आली । मच्छर...
भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ७ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ८ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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मिथ्या माया स्वरूप
रंगनाथ स्वामींचा ( निगडीकर ) जन्म शके १५३४ मध्ये मार्गशीर्ष शु. १० मी रविवारीं झाला.
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श्रीदत्तात्रेयजन्म - अभंग ३४१०
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीराम व श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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प्रेमाबाईकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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श्रीनामदेव चरित्र - अभंग ५१ ते ६०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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तुटणे
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श्रीकृष्ण आळ - अभंग १८ ते १९
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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अध्याय ८५ वा - श्लोक ५१ ते ५५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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क्रीडा खंड - अध्याय ८
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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उपदेश - जनांस उपदेश १८ ते २०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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श्रीकृष्णलीला - अभंग ११ ते १५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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धर्मसिंधु - जातकर्मसंस्कारविधि
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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पदसंग्रह - पदे ११६ ते ११९
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
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पंचमम् ब्राम्हणम् - भाष्यं ३
सदर ग्रंथाचे लेखक विष्णुशास्त्री वामन बापट (जन्म: पाऊनवल्ली-राजापूर तालुका, रत्नागिरी जिल्हा, मे २२, इ.स. १८७१; मृत्यू : डिसेंबर २०, इ.स. १९३२) हे महाराष्ट्रातील एक शांकरमतानुयायी अद्वैती, प्राचीन संस्कृत वाङ्मयाचे भाषांतरकार आणि भाष्यकार होते.
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शुकाख्यान - अभंग ३५१ ते ३७१
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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दत्तभक्त - कृष्णेन्द्रगुरु
महान् व्यक्तिंची चरित्रे नेहमीच प्रेरणादायी असतात. दत्तात्रेयांच्या पौराणिक शिष्यांची वा भक्तांची ओळख येथे केलेली आहे. हे दत्तभक्त अवतारी पुरूष म्हणून ओळखले जातात.
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय २०
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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