शशाद n. (सू. इ.) एक सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जिसे ‘विकुक्षि’ नामांतर भी प्राप्त था
[म. व. १९३.१] । यह इक्ष्वाकु राजा के सौ पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र था, एवं उसीके पश्चात् राजगद्दी पर बैठा था
[भा. ९.६.६-११] ।
शशाद n. एक बार इसके पिता ने इसे वन में जा कर कुछ मांस लाने के लिए कहा, जो उसे ‘अष्टका श्राद्ध’ करने के लिए आवश्यक था । अपने पिता की आज्ञा के अनुसार यह वन में गया, एवं इसने दस हज़ार प्राणियों का वध किया । पश्चात् अत्यधिक क्षुधा के कारण, यज्ञार्थ इकठ्ठा किये गये मांस में से खरगोश का थोड़ासा मांस इसने भक्षण किया । यह ज्ञात होते ही इसके पिता ने इसे राज्य से बाहर निकाल दिया, एवं इसे ‘शशाद’ व्यंजनात्मक नाम रख दिया । अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् यह अयोध्या के राजसिंहासन पर आरुढ़ हुआ, एवं शशाद नाम से ही राज्य करने लगा।
शशाद n. इसके कुल पाँच सौ पुत्र थे, जिन में पुरंजय प्रमुख था
[भा. ९.६.६-१२] । मत्स्य के अनुसार, इसे कुल १६३ पुत्र थे, जिन में से पंद्रह पुत्र मेरु पर्वत के उत्तर भाग में, उवं उर्वरित १४८ मेरु के दक्षिण में स्थित प्रदेश में राज्य करने लगे । मेरु के दक्षिण में राज्य करनेवाले इसके पुत्रों में ‘ककुत्स्थ’ प्रमुख था
[मत्स्य. ११.२६.२८] ।