अर्ह् [arh] 1 P. [अर्हति, अर्हितुम्, अर्हित] (epic A. as रावणो नार्हते पूजाम् Rām.)
To deserve, merit, be worthy of (with acc. or inf.); किमिव नायुष्मानमरेश्वरान्नार्हति
[Ś.7;] so दण्डम्, प्रायश्चित्तम्, वधम् &c.
To have a right to, be entitled to, be allowed to do anything (with acc.); ननु गर्भः पित्र्यं रिक्थमर्हति
[Ś.6;] न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति
[Ms.9.3;] also with inf. न स तल्लब्धुमर्हति
[Ms.8.147;11.7,18.] To be obliged or required to do a thing, oft. implying duty or obligation; नान्यत्स्त्री दातुमर्हति
[Y.2.49;] इमां प्रसादयितुमर्हसि
[R.1.88.] To be fit or deserve to be done; अर्थना मयि भवद्भिः कर्तुमर्हति
[N.5.112;] [Dk.137.] To be equal to, be worth, न ते गात्राण्युपचारमर्हन्ति
[Ś.3.] 17 are not equal to; सर्वे ते जपयज्ञस्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्
[Ms.2.86;3.131.] To be able, translatable by, 'can'; न मे वचनमन्यथा भवितुमर्हति
[Ś.4;] विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्तुमर्हति
[Bg.2.17;] अनुद्योगेन तैलानि तिलेभ्यो नाप्तुमर्हति
[H. Pr.3] cannot get.
To worship, honour; seecaus. below.
(Used with inf. in the second pers. and sometimes in the third) अर्ह् represents a mild form of command, advice or courteous request, and may be translated by 'pray', 'deign', 'be pleased to', will be pleased to'; द्वित्राण्यहान्यर्हसि सोढुमर्हन्
[R.5.25] pray wait &c. नार्हसि मे प्रणयं विहन्तुम् 2.58; तं सन्तः श्रोतुमर्हन्ति 1. 1 will be pleased or be good enough to listen to it;
[Ku.6.32;] [Ms.1.2;] [Bg.1.16,2.17;] [R.1.72;] 1.88;3.46. -Caus. or 1 P. To honour, worship. राजार्जिहत्तं मधुपर्कपाणिः
[Bk.1.17;] [Ms.3.3.119.]