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वसिष्ठ n. एक ऋषि, जो स्वायंभुव मन्वंतर में उत्पन्न हुए ब्रह्मा के दस मानसपुत्रों में से एक माना जाता है । वसिष्ठ नामक सुविख्यात ब्राह्मणवंश का मूलपुरुष भी यही कहलाता है । यह ब्राह्मणवंश सदियों तक अयोध्या के इक्ष्वाकु राजवंश का पौराहित्य करता रहा।
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वसिष्ठ n. यह ब्रह्मा के प्राणवायु (समान) से उत्पन्न हुआ था [भा.३.१२.२३] । दक्ष प्रजापति की कन्या ऊर्जा इसकी पत्नी थी । इस प्रकार यह दक्ष प्रजापति का जमाई एवं शिव का साढ़ू था । दक्षयज्ञ के समय दक्ष के द्वारा शिव का अपमान हुआ, जिस कारण क्रुद होकर शिव ने दक्ष के साथ इसका भी वध किया।
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वसिष्ठ n. वसिष्ठवंश के सारे इतिहास में एक उल्लेखनीय घटना के नाते, इन लोगों का विश्र्वामित्र वंश के लोगों के साथ निर्माण हुए शत्रुत्व की अखंड परंपरा का निर्देश किया जा सकता है । देवराज वसिष्ठ से ले कर मैत्रावरुण वसिष्ठ के काल तक, प्राचीन भारत के इन दो श्रेष्ठ ब्राह्मण वंशों में वैर एवं प्रतिशोध का अग्नि सदियों तक सुलगता रहा। प्राचीन भारतीय राजवंशो में भार्गव वंश (परशुराम जामदग्न्य) एवं हैहयों का, तथा द्रुपद एवं द्रोण का शत्रुत्व इतिहासप्रसिद्ध माना जाता है । उन्हीके समान पिढीयों तक चलनेवाला ज्वलंत वैर, वसिष्ठ एवं विश्र्वामित्र इन दो ब्राह्मणवंशो में प्रतीत होता है ।
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वसिष्ठ n. इसकी कुल दो पत्नियॉं थीः---१. ऊर्जा, जो दक्ष प्रजापति की कन्या थी; २. अरुन्धती, जो कर्दम प्रजापति के नौ कन्याओं में से आठवी कन्या थी । इनके अतिरिक्त इसकी शतरूपा नामक अन्य एक पत्नी भी थी, जो स्वयं इसकी ही ‘अयोनिसंभवा’ कन्या थी । (१) ऊर्जा की संतति---ऊर्जा से इसे पुंडरिका नामक एक कन्या, एवं ‘सप्तर्षि’ संज्ञके निम्नलिखित सात पुत्र उत्पन्न हुए थेः - दक्ष (रत्न), गर्त, ऊर्ध्वबाहु, सवन, पवन, सुतपस्, एवं शंकु। भागवत में ऊर्जा के पुत्रों के नाम चित्रकेतु आदि बताये गये है [भा. ४.१.४१] । इसकी कन्या पुंडरिका का विवाह प्राण से हुआ था, जिसकी वह पटरानी थी । प्राण से उसे द्युतिमत् नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । इसके पुत्र ‘रत्न’ का विवाह मार्कंडेयी से हुआ था, जिससे उसे पश्र्चिम दिशा का अधिपति केतुमत् ‘प्रजापति’ नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । [ब्रह्मांड. २.१२.३९-४३] । इनके अतिरिक्त इसे हवीद्र आदि सात पुत्र उत्पन्न हुए थे । सुकात आदि पितर भी इसीके ही पुत्र कहलाते है । २) शतरूपा की संतति---इसकी ‘अयोनिसंभवा’ कन्या शतरूपा से इसे वीर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । वीर का विवाह कर्दम प्रजापति की कन्या काम्या से हुआ था, जिससे उसे प्रियव्रत एवं उत्तानपाद नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे । इनमें से प्रियव्रत को अपनी माता काम्या से ही सम्राट, कुक्षि, विराट एवं प्रभु नामक चार पुत्र उत्पन्न हुए। उत्तानपाद को अत्रि ऋषि ने गोद में लिया था [ह.वं १.२] ।
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