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स्यमंतक मण्याची कथा १
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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स्यमंतक मण्याची कथा २
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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स्यमंतक
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स्यमंतक मणि
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স্যমন্তক মণি
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ସ୍ୟମନ୍ତକ
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स्यमन्तकमणिः
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સ્યમંતક
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स्यमन्तक मणि
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सत्राजित
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सत्राजित् , सत्राजित
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शक्तिसेन
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स्यमन्तक
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शतधन्वन्
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स्कंध १० वा - अध्याय ५६ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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जांबवत्
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अध्याय ५६ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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स्कंध १० वा - अध्याय ५७ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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अध्याय ५७ वा - श्लोक ३६ ते ४२
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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लघुभागवत - अध्याय ११ वा
लघुभागवत हे एक उपपुराण आहे.
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गणपतीची आरती - आरती सप्रेम जयजय स्वामी ग...
Ganapati Arati - Prayer to Lord Ganesha गणपतीची आरती - आरती सप्रेम जयजय
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दशम स्कंधाचा ( उत्तरार्ध ) सारांश
दशमस्कंध उत्तरार्धात अध्याय ४१, मूळ श्लोक १९३३, त्यांवरील अभंग ४६०
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बोधपर अभंग - ५४२१ ते ५४३०
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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अध्याय ५६ वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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प्रसेन
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अध्याय ५६ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ५७ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ५६ वा - श्लोक १६ ते २०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ५६ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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खंड ४ - अध्याय ६
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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स्कंध १० वा - अध्याय ८३ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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बलराम
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सत्यभामा
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खंड ३ - अध्याय ३८
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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वृष्णि
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द्वारकाविजय - प्रथमसर्ग
कवी वामनपंडितांचे काव्य वाचन म्हणजे स्वर्गीय सुख.
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सिद्धारुढस्वामी - प्रकरण २८
प्रस्तुत ग्रंथ श्री कबीरदासस्वामी यांनी रचिला आहे . श्री सिद्धारूढस्वामी हे खरे सद्गुरू आहेत .
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संकेत कोश - संख्या ५
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १६ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय १३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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असित
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हरिविजय - अध्याय २५
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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संकष्टी चतुर्थी व्रत
सर्व संकटांचा नाश करुन इच्छित फ़ळ शीघ्र प्राप्त करुन देणारे श्रीगणपतीचे व्रत.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ४ - अध्याय १०
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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संकष्ट चतुर्थी माहात्म्य
"श्रीसंकष्टहरगणपती" हे या व्रताच्या देवतेचें नांव आहे, हे व्रत करणार्या स्त्री अगर पुरुषानें, व्रताला सुरवात श्रावण महिन्यातील संकष्टीच्या दिवशीं करावी. सतत २१ संकष्ट्या करुन व्रताचें उद्यापन करावें.
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सात्यकि
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५
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