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विविध मंत्र
विविध समस्यांसाठी मंत्र
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मन्त्रमहोदधि - षष्ठ तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - द्वाविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधिः
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - सप्तम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - पञ्चदश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - पञ्चविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - षोडश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - एकविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - सप्तदश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - चतुर्दश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - त्रयोदश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - अष्टादश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - प्रथम तरड्ग
` मन्त्रमहोदधि ' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है , जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - दशम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - द्वादश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - पञ्चम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - तृतीय तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - अष्टम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - त्रयोविश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - चतुर्थ तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - विंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - चतुर्विंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - नवम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - एकादश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - एकोनविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधिः - दशमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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मंत्रप्रकरण - ऋद्धिसिद्धि मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - षष्ठः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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सिद्धपंचरत्न - मंत्रप्रकरण
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - भुवनेश्वरी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - तीव्रबुद्धिकरण मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - सरस्वती मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - बगलामुखी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - तारामंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी.
51verses for chanting and contemplation. ५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी.
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गुरुसंस्था - शिष्याची पात्रता
मंत्रशास्त्राकार जगन्नाथपुरीचे ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीशंकराचार्य योगेश्वरानंदतीर्थ ह्यांचा हा मंत्रसाठा सिद्ध आहे ,
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मंत्रप्रकरण - शारदादेवी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - अष्टमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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पंचदशी विद्या - पंचदशीयंत्राचा विधि
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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मन्त्रमहोदधिः - द्वितीयः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मंत्रशास्त्र - नियम व विधी
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - कमला-मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - नवमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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मंत्रप्रकरण - मातंगी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रशास्त्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - चतुर्थः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मन्त्रमहोदधिः - सप्तमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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पंचदशी विद्या - पंचदशी विद्या विचार
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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गुरुसंस्था - दीक्षा व प्रकार
मंत्रशास्त्राकार जगन्नाथपुरीचे ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीशंकराचार्य योगेश्वरानंदतीर्थ ह्यांचा हा मंत्रसाठा सिद्ध आहे ,
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