Site Search Input language: Select language देवनागरी Roman Kannada Bengali/Bangla Gurmukhi Gujarati Site Search Google Search Search results Results does not include Ancestry or QnA (Prashna) कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: कुठे राजा भोज आणि कुठे गंगु तेली Type: WORD | Rank: 7.562299 | Lang: NA कुठे राजा भोज आणि कुठे गंगु तेली Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली Type: WORD | Rank: 7.562299 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - राजा भोज रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 7.466704 | Lang: NA भोज Meanings: 72; in Dictionaries: 11 Tags: bhoja(ṁ), bhōja, bhoja, بُھوج भोज, भोजः ভোজ, भज जानाय, ભોજ, ಭೋಜನ, سال, سالہ بَتہ, जेवणावळ, പന്തിഭോജനം, ଭୋଜି, ਭੋਜ, सम्भोजनम्, விருந்து, విందు, دعوت, طلبی, ضیافت, بھوج भोज, भोजः भोजः Type: WORD | Rank: 6.605653 | Lang: NA राजा भोज Meanings: 2; in Dictionaries: 2 Tags: রাজা ভোজ, રાજા ભોજ, राजा भोज, ಭೋಜ ರಾಜ, راجا بوج , بوج راجا, ഭോജരാജാവ്, भोजराजा, ଭୋଜ ରାଜା, ਰਾਜਾ ਭੋਜ, भोजः, போஜ்ராஜா, భోజరాజు, راجابُھوج, بُھوج راجا, بُھوج রাজা ভোজ, રાજા ભોજ, ಭೋಜ ರಾಜ, راجا بوج , بوج راجا, राजा भोज, ഭോജരാജാവ്, भोजराजा, ଭୋଜ ରାଜା, ਰਾਜਾ ਭੋਜ, भोजः, போஜ்ராஜா, భోజరాజు, راجابُھوج, بُھوج راجا, بُھوج Type: WORD | Rank: 6.389428 | Lang: NA भोज-भात Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: marathi, hindi, sanskrit Type: WORD | Rank: 3.781046 | Lang: NA भोज राजा Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: marathi, hindi, sanskrit Type: WORD | Rank: 3.721318 | Lang: NA भोज देना Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: ভোজ দিয়া, भज हो, ভোজ আয়োজন করা, દાવત આપવી, ಔತಣ ನೀಡು, دعوت دِنۍ, जेवण घालप, സദ്യ കൊടുക്കുക, मेजवानी देणे, ꯆꯥꯛ꯭ꯄꯤꯖꯕ, ଭୋଜି ଦେବା, ਪ੍ਰੀਤੀ ਭੋਜਨ ਦੇਣਾ, सम्भोजय, விருந்தளி, విందు ఇచ్చు , دعوت دینا Type: WORD | Rank: 3.586928 | Lang: NA भोज विद्या Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: marathi, hindi, sanskrit Type: WORD | Rank: 1.741202 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - रानी रूपवती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.508331 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - कीर्तिमती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.4994 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - लीलावती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.488201 | Lang: NA द्वासप्ततित्रिशाललक्षणं नामैकविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA तोरणभङ्गादिशान्तिको नाम षट्चत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २०३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १५१ ते २२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA हस्तलक्षणं नाम नवमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA सप्तविंशतिमण्डपलक्षणं नाम सप्तषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ११४ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA देवादिरूपप्रहरणसंयोगलक्षणं नाम सप्तसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA राजनिवेशो नाम पञ्चदशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA प्रश्नो नाम तृतीयोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA लिङ्गपीठप्रतिमालक्षणं नाम सप्ततितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA पञ्चपुरुषस्त्रीलक्षणं नामैकाशीतितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २१० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - २०१ ते २२३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA गृहद्र व्यप्रमाणानि नामाष्टाविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA वास्तुत्रयविभागो नामैकादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA चयविधिर्नामैकचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते ८१ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA दिग्भद्रा दिप्रासादलक्षणं नाम चतुष्षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA अथाण्डकप्रमाणं नाम चतुःसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA सप्तविंशतिमण्डपलक्षणं नाम सप्तषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २०१ ते २५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA मेर्वादिविंशिकानागरप्रासादलक्षणं नाम त्रिषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - १०१ ते १४० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA अथायतननिवेशो नामैकपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA पीठपञ्चकलक्षणं नामैकषष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA महदादिसर्गश्चतुर्थोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA नाड्यादिसिरादिविकल्पो नाम द्वादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.423539 | Lang: NA Folder Page Word/Phrase Person Loading, please wait .. Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP