बृहस्पतिके अंतर्गत बृहस्पतिकी दशामें पाप रोग इनकरके रहित सदाकाल धर्म जय और धन मित्र कलत्र पुत्र इनका आगम वा सुख होता है । बृहस्पतिके अंतर्गत शुक्रकी दशामें कार्य अर्थका नाश, अत्यंत विरोध, सुखयुक्त श्रृंगार कोश और मनुष्योंकरके सुखलाभ होता है । बृहस्पतिके अंतर्गत शनैश्चरकी दशामें दान करनेसे सुख, द्रव्यका नाश, व्यसनादिकरके युक्त, ज्वरकरके घात और व्यसनमें रत होता है । बृहस्पतिके अंतर्गत रविकी दशामें धनका आगम, मित्र, कलत्रका सुख, अपने देशमें आनंदपूर्वक वास, देशविदेशसे लाभ, बहुत प्रतापविजय और सौख्य होता है । बृहस्पतिके अंतर्गत चन्द्रमाकी दशामें तीर्थका गमन, सौख्य, पुत्रका जन्म, मित्रका समागम और धनका लाभ होता है । बृहस्पतिके अंतर्गत मंगलकी दशामें अग्नि वा चौरभय करके रहित पद पदमें धनका लाभ, राजमान और घरमें सुख होता है । बृहस्पति अंतर्गत बुधकी दशामें धान्यका लाभ, पुत्रका सुख, घरमें कल्याण, नित्य मांगालिक कार्य, वस्त्रलाभ और सुख होता है ॥१-७॥