जिस ग्रहकी अन्तर्दशा करनी हो उस ग्रहके दशावर्षोंको ग्रहके दशावर्षसे गुण देवे, फिर गुणनफलमें दशका भाग दे, लब्ध मास शेषको तीससे गुणाकर दशका भाग दे तो दिन इसी प्रकार घटीपलादि निकल आते हैं ॥१॥
उदाहरण - रवि वर्ष ६ से गुणा तब ६६ हुए इससें १० का भाग दिया लब्ध मास ३, शेष ६ को ३० से गुणा तब १८० हुए १० का भाग दिया तब लब्धदिन १८ हुये सूर्यमध्ये सूर्यका अन्तर ३ मास १८ दिन हुआ, चन्द्रमाको अन्तरके वास्ते सूर्यवर्ष ६ को चन्द्रवर्ष १० से गुणा तौ ६० हुये १० का भाग दिया लब्ध ६ मास हुए इत्यादि ॥१॥
उपदशाकरण
अन्तर्दशाके दिनकरके अपने २ ग्रह वर्षोसे गुणा करे फिर गुणनफलमें एकसौ बीसका भागदेय तो दिनादि लब्धि ग्रहकी उपदशा होगी ॥१॥
उदाहरण - रवि अंतर्मासादि ३।१८।० इसके १०८ दिन हुये और सूर्यके वर्ष ६ से गुणाकिया तौ ६४८ हुये १२० का भाग दिया लब्धि दिन ५, शेष ४८ को ६० से गुणा तब २८८० हुए १२० का भाग दिया लब्धि २४ घटी इस प्रकार सूर्यके अंतरमें सूर्यकी उपदशा ५ दिन २४ घटी जानना तथा १०८ को चन्द्रवर्ष १० से गुणा तब १०८० हुये १२० का भाग दिया लब्ध ९ दिन अर्थात् सूर्यके अंतरमें चन्द्रकी उपदशा ९ दिनकी हुई इत्यादि ॥
फलदशा
उपदशा बनानेकी रीतिके अनुसार उपदशाके दिनादिको घटी करके ग्रहके अपने २ वर्षसे गुनाकरदे, फिर उस गुणनफलमें एकसौ बीसका भागलेय तौ लब्धि घटी आदि फलदशा होगी ॥१॥
जिसके कृष्णपक्षमें दिनका जन्म हो और शुक्लपक्षमें रात्रिका हो उसको विंशोत्तरीदशा शुभाशुभफलदायक होती है ॥२॥
इति फलदशा ॥