रविके अन्तर्गत रविदशामें राजासे मान प्रतिष्ठा, सुख, सम्मान, शत्रुका नाश और सौख्यका लाभ होता है । रविके अन्तर्गत चन्द्रमाकी दशामें रोगादिका नाश, धनधान्यका लाभ, शत्रुका क्षय, प्रीति सुखका उदय हो और जो उच्चादिस्थानमें हो तौ दूना तिगुना शुभ फल होता है । रविके अन्तर्गत मंगलकी दशामें पराक्रम, हेमताम्रका लाभ, अभय, संग्राममें जय, वाहनादिसुख और प्रचंडतापूर्वक राजसुख होता है । रविके अन्तर्गत बुधकी दशामें शरीरमें कष्ट, ज्वर, रोग, शोक, शत्रुवैरका क्षय अर्थका क्षय, प्रबल रोग और विदेश गमन होता है । रविके अन्तर्गत जब बृहस्पतिकी दशा होती है तो पाप रोग, व्यसनसे रहित, मुक्ति धर्मकरके संयुक्त, ज्ञान सुखका आगम, लक्ष्मी और धनकी वृद्धि हो । रविके अन्तर्गत शुक्रकी दशामें दाद आदि रोग, गलरोग, दोष, शूल, ज्वर, मित्रका कष्ट, शस्त्रसे भय और कल्याणरहित होता है । रविके अन्तर्गत शनिकी दशामें कार्य अर्थका नाश, राजासे भय, पित्तसे उत्पन्न शरीरमें रोग, विद्युद्भय, बुद्धिका नाश और दीनता होती है ॥१-७॥