बुधान्तर्गत बुधकी उपदशामें विद्या, बुद्धि, धन, सोना, चांदी माणिक, धान्य और रत्नादिका लाभ होता है । बुधान्तर्दशान्तर्गत केतुकी उपदशामें रक्तपित्तविकारसे पीडा, उदरपीडा, वस्त्र, अर्थ, शस्त्रहानि होती है । बुधान्तर्गत शुक्रकी उपदशामें उत्तरदिशासे लाभ, सुख और मिष्टान्न भोजन प्राप्त होता है । बुधान्तर्गत रविकी उपदशामें तेजका नाश, शिरःपीडा, उद्वेग, चंचलचित्त, दृष्टिदोष और सर्दीरोग होता है । बुधान्तर्गत चन्द्रमाकी उपदशामें लक्ष्मीका लाभ तथा कन्याका जन्म, शुभ अर्थ, पुत्र पौत्रादिक सुख, मिष्टान्न भोजन और वस्त्रोंका लाभ होता है । बुधान्तगत मंगलकी उपदशामें आमरोगसे मृत्यु, अतिसार, चौर, अग्नि, शस्त्रपीडा, ज्ञान, धर्म और धनका लाभ होता है । बुधान्तर्गत राहुकी उपदशामें राजशत्रुभय, त्रास, कलह, स्त्री निरुत्साह और स्नेह क्षीरविना भोजन प्राप्त होता है । बुधान्तर्गत बृहस्पतिकी उपदशामें राज्यका प्रधान, विद्याबुद्धिकी वृद्धि और अन्नपानादि सौख्य प्राप्त हो । बुधान्तर्गत शनिकी उपदशामें विकलता, घात, गिरना, वातपीडा, महान् भय और अन्नपानादिका नाश होता है ॥१-९॥