बुधकी दशामें मनुष्य सुंदरस्त्रियोंके लीलाविलास और उत्तम भोगकरके संयुक्त, अनेक प्रकारसे विभवका आगम, कोशकी वृद्धि और अर्थसिद्धि होती है ॥१॥
बुधके अंतर्गत बुधदशामें बुद्धिधर्मका संयोग, रुपवती स्त्री प्राप्त हो, धर्म अर्थ कामकी सिद्धि हो, मित्रबंधुका समागम हो, अधिक उत्तम ज्ञानकी प्राप्ति हो और कभी देहमें पीडाका प्रकोप भी होवे ॥२॥
बुधके अंतर्गत केतुदशामें सदा दुःखशोककी अधिकता होय, शरीरमें क्लेश होय, चौपायों और अग्निसे भय होय ॥३॥
बुधके अंतर्गत शुक्रदशामें राजाकी प्रसन्नता हो, वस्त्रप्राप्ति हो, धर्ममें प्रिय, वस्त्र अलंकारकरके युक्त हो और भोगकी प्राप्ति हो ॥४॥
बुधके अंतर्गत सूर्यदशामें स्वर्णादिककी प्राप्ति, सर्वत्र यशकी प्राप्ति हो और स्त्रीको कष्ट हो ॥५॥
बुधके अंतर्गत चन्द्रदशामें कुष्ठरोग, गंडविकार, क्षयरोग, भगंदर हो और हाथी आदि वाहनोंसे भय हो, श्वेत वस्त्र दान देना ॥६॥
बुधके अंतर्गत मंगलकी दशामें शिरोरोग हो, गलेमें रोग हो, अनेक प्रकारका क्लेश हो और चौरभय हो ॥७॥
बुधके अंतर्गत राहुदशामें अकस्मात् शत्रुसे भय, अकस्मात् धनहानि और संपर्कसे अग्निदाह यह फल होता है ॥८॥
बुधके अंतर्गत बृहस्पतिदशामें व्याधि और शत्रुभय करके रहित, ब्राह्मणका भक्त, राजाको प्रिय, पवित्र और धर्मवान् मनुष्य होता है ॥९॥
बुधके अंतर्गत शनिदशामें मनुष्य धर्म अर्थका भोगनेवाला, गंभीर स्वभाववाला, क्लीब, मित्रके धनका लालच करनेवाला और संपूर्ण कार्योविषे उत्साहरहित होता है ॥१०॥