मंगलकी दशामें शस्त्रसे अभिघात, राजासे वध, बंधन पीडा, मानसी चिंता, लडाई झगडा, विकलता, घरमें रोग, चौर अग्निभय, यशका तथा धनका, नाश और घात इत्यादि अशुभ फल होता है ॥१॥
मंगलके अंतर्गत मंगलकी दशामें शत्रुसे पीडा, बांधवोंकरके कलह और अपने अंतरान्तमें बहुत पीडा, वृद्ध स्त्री अथवा वेश्याके साथ रति हो ॥२॥
मंगलके अंतर्गत बुधकी दशामें राजासे अग्निसे और चोरसे भय ज्वरादिरोग करके पीडा और दुष्टजनोंके साथ कलह होता है ॥३॥
मंगलके अंतर्गत शनिदशामें महादुःख जलसे, भय, राजासे पीडा और भय मनुष्योंको होता है ॥४॥
मंगलके अंतर्गत बृहस्पतिकी दशामें पुण्यप्राप्ति हो, तीर्थकी यात्रा हो, देवता ब्राह्मणके पूजनमें भक्ति हो और अधिक धनका लाभ हो ॥५॥
मंगलके अंतर्गत राहुदशामें शस्त्रसे, अग्निसे, राजासे तथा चोरसे भय, मृत्यु तथा राजासे भय और मानसी दुःख होता है ॥६॥
मंगलके अंतर्गत शुक्रकी दशामें शत्रुसे भय, बडा क्लेश, धर्महान, सुखका नाश, राजासे भय और अपना बंधन होता है ॥७॥
मंगलके अंतर्गत रविदशामें राजासे अधिक संमति, प्रचंडजनोंके साथ संगति और कुत्सित स्त्रीसे भोग विलास होता है ॥८॥
मंगलके अंतर्गत चन्द्रमाकी दशामें बहुत धन और मित्रका सुख हो, मुक्ता, हेम तथा मणि श्रीकी प्राप्ति हो और मनुष्य परमपदको प्राप्त होता है ॥९॥