पदार्थदशमी
( विष्णुधर्मोत्तर ) -
मार्गशीर्ष शुक्ल दशमीसे आरम्भ करके एक वर्षपर्यन्त प्रत्येक शुक्ल दशमीको दसों दिगीशों ( १ इन्द्र, २ अग्नि, ३ यम, ४ निऋति, ५ वरुण, ६ वायु, ७ कुबेर, ८ ईशान, ९ ब्रह्मा और १० अनन्त ) का गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करके वर्षके बाद दूध देती हुई गौका दान करे और ब्राह्मणोंको भोजन कराये तो व्यापार, व्यवहारमें यथेच्छ सफलता प्राप्त होनेके सिवा विद्या और धनादिकी वृद्धि होती है और शत्रुओंका नाश होता है ।