अनङ्गत्रयोदशी
( भविष्योत्तर ) - मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशीको नदी, तालाब, कुआँ या घरपर स्त्रान करके अनङ्ग नर्मदेश्वर महादेवका गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य आदि उपचारोंसे पूजन करके व्रत करे विशेषता यह है कि मार्गशीर्षादि महीनोंमे - १ मधु, २ चन्दन, ३ न्यग्रोध, ४ बदरीफल, ५ करञ्ज, ६ अर्कपुष्प, ७ जामुन, ८ अपामार्ग, ९ कमलपुष्प, १० पलास, ११ कुब्ज अपामार्ग और १२ कदम्ब - इनका पूजन और प्राशनमें यथाक्रम उपयोग करे । विशेष विधान मूल ग्रन्थमें देखें । इस व्रतसे शिवजी प्रसन्न होते हैं ।