मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशादित्यव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


द्वादशादित्यव्रत

( विष्णुधर्मोत्तर ) - मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशीसे आरम्भ करके प्रत्येक शुक्ल द्वादशीको १ मार्गशीर्षमें धाता, २ पौषमें मित्र, ३ माघमें अर्यमा, ४ फाल्गुनमें पूषा, ५ चैत्रमें शक्र, ६ वैशाखमें अंशुमान्, ७ ज्येष्ठमें वरुण, ८ आषाढ़में भग, ९ श्रावणमें त्वष्टा, १० भाद्रपदमें विवस्वान्, ११ आश्विनमें सविता और १२ कार्तिकमें विष्णु - इन नामोंसे सूर्यभगवानका यथाविधि पूजन करे और जितेन्द्रिय होकर व्रत करे तो सब प्रकारकी आपत्तियोंका नाश और सब प्रकारके सुखोंकी वृद्धि होती है ।

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Last Updated : January 01, 2002

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