निक्षुभार्कचतुष्ट्य
( भविष्योत्तर ) -
१. मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी और सप्तमीको उपवाससहित सूर्यका पूजनकर अष्टमीको भोजन करे, २. केवल कृष्ण सप्तमीको उपवास करके सूर्यका पूजन करे, ३. सप्तमीको निराहार उपवास करके चूनका हाथी बनाकर निवेदन करे और ४. मार्गशीर्ष या माघकी कृष्ण सप्तमीको दृढव्रत होकर उपवास करे, यथानियम पूजन करे और एक वर्ष समाप्त होनेपर गन्धादिसे सूर्यका पुनः पूजन करके ब्राह्मणोंको मणि - मुक्ता और भोजनादि देकर स्वयं भोजन करे । इस प्रकार सूर्यपत्नी ( निक्षुभा ) और सूर्यका उपर्युक्त चार प्रकारसे व्रत और पूजन करे तो भ्रूणहत्यादि सब पाप दूर होते हैं ।