हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद २११ से २२० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद २११ से २२० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद २११ से २२० Translation - भाषांतर २११दूध कठोरै गडवै पानी । कपिला गाइ नामै दुहिआनी ॥दूधु पीउ गोबिंदे राइ । दूध पीउ मेरो मनु पतिआइ ॥नाहीं त घर को बापु रिसाइ ॥ रहाऊ ॥सोइन कटोरी अंम्रित भरी । लै नामै हरि आगै धरी ॥एकु भगतु मेरे हिरदै बसै । नामे देखी नराइनु हसै ॥दूधु पीजाइ भगतु धरि गइआ । नामें हरि का दरसनु भइआ ॥२१२मै बऊरी मेरा रामु भतारु । रचि रचि ताकऊ करउं सिंगारु ॥भले निंदऊ भले विंदऊ लोगू । तनु मनु राम पिआरे जोगू ॥बादुविबादु काहू सिऊ न कीजै । रसना रामु रसाइनु पीजै ॥अब जीअ जानि ऐसी बनि आई । मिलऊ गुपाल नीसानु बजाई ॥असतुति निंदा नरु कोई । नामें श्रीरंगु भेटले सोई ॥२१३कबहू खीरि खांड घीऊ न भावै । कबहू घर घर टूक मगावै ॥कबहू कूरनु चने बिनावै । जिऊ रामु राखै तिऊ रहिऐ रे भाई ॥हरिकी महिमा किछु कथनु न जाई ॥कबहू तुरे तुरंग नचावै । कबहू पाइ पनहीउ न पावै ॥कबहू खाट सुपेदी सुवावै । कबहू भूमि पैआरु न पावै ॥भनति नामदेऊ इकु नामु निसतारै । जिह गुरु मिलै तिह पारि ऊतारै ॥२१४हसत खेळत तेरे देहुरे आइआ । भगति करत नामा पकरि उठाइआ ॥हीनडी जात मेरी जादभ राइआ । छीपे के जनमि काहे कऊ आइआ ॥लै कमली चलीउ पलटाइ । देहुरै पाछै बैठा जाई ॥जिऊ जिऊ नामा हरि गुण ऊचरै । भगत जनां कऊ देहुरा फिरै ॥२१५घर की नारि तिआगै अंधा । परनारी सिऊ घालै धंधा ॥जैसे सिंबलु देखि सूवा बिगसाना । अंतकी बार मूआ लपटाना ॥पापी का घरु आगने माहि । जलत रहै मिटवै कब नाहि ॥हरि की भगति न देखै जाइ । मारगु छोडि अमारगि पाइ ॥सूवहु भूला आवै जाइ । अम्रित डारि लादि बिखु खाइ ॥जिऊ वेस्वावे परै आखारा । कापरु पहिरि करहि सिंगारा ॥पुरे ताल निहाले सास । वाके गले जमका है फास ॥जाके मसतकि लिखिउ करमा । सो भजि परि है गुरकी सरना ॥कहत नामदेऊ इहु बीचारु । इन बिधि संतहु ऊतरहु पारि ॥२१६सुलतानु पूछै सुनु बे नामा । देखऊ राम तुमारे कामा ॥नामा सुलताने बाधिला । देखऊ तेरा हरि बीठुला ॥बिसमिलि गऊ देहु जीवाइ । ना तरु गरदनि मारऊ ठांइ ॥बादिसाह ऐसी किऊ होइ । बिसमिलि कीआ न जीवै कोइ ॥मेरा किआ कछू न होइ । करिहै रामु होइ है सोइ ॥बादिसाहु चढीउ अहंकारि । गज हसती दीनो चमकारि ॥रुदनु करै नामे की माइ । छोडि राम की न भजहि खुदाइ ॥न हुऊ तेरा पूंगडा न तू मेरी माइ । पिंडु पडै तऊ हरिगुन गाइ ॥करै गजिंदु सुंड की चोट । नामा ऊबरै हरिकी ओट ॥काजी मुलां करहि सलामु । इनि हिंदू मेरा मलिआ मानु ॥बादिसाह बेनती सुनेहु । नामे सर भरि सोना लेहु ॥मालु लेऊ तऊ दोजकि परऊ । दीनु छोडि दुनिआ कऊ मरऊ ॥पावहु बेडी हाथहु ताल । नामा गावै गुन गोपाल ॥गंग जमुन जऊ ऊलटी बहै । तऊ नामा हरि करता रहै ॥सात घडी जब बीती सुणी । अजहु न आइऊ त्रिभवण धणी ॥पाखंतण बाज बजाइला । गरुड चढे गोबिंद आइला ॥अपने भगत परि की प्रतिपाल । गरुड चढे आए गोपाल ॥कहहि त धरणि इकोडी करऊ । कहहि त लेकरि ऊपरि धरऊ ॥कहहि त मुइ गऊ देऊ जीआइ । सभु कोई देखै पतिआइ ॥नामा प्रणवै सेलम सेल । गऊ दुहाई बछरा मेलि ॥दूधहि दुहि जब मटुकी भरी । ले बादिसाह के आगे धरी ॥बादिसाहु महल महि जाइ । अऊघट कीं घट लागी आइ ॥काजी मुलां बिनती फुरमाइ । बखसी हिंदू मै तेरी गाइ ॥नामा कहै सुनहु बादिसाह । इहु पतिआ मुझै दिखाइ ॥इस पतिआ का इहै परवानु । साचि सील चालहु सुलितान ॥नामदेऊ सभ रहिआ समाइ । मिलि हिंदू सभ नामे पहि जाइ ॥नामे की कीरति रही संसारि । भगति जना ले उधरिआ पारि ॥सगल कलेस निंदक भइआ खेदु । नामें नाराइन नाहीं भेदु ॥२१७जऊ गुरदेउ त मिलै मुरारि । जऊ गुरदेउ त ऊतरै पारि ॥जऊ गुरदेउ त वैकुंठ तरै । जऊ गुरदेउ त जीवत भरै ॥सति सति सति सति सतिगुर देव । झूठु झूठु झूठु झूठु आन सभ सेव ॥जऊ गुरदेउ त नामु द्रिडावै । जऊ गुरदेउ त दह दिस धावै ॥जऊ गुरदेउ पंच ते दूरि । जऊ गुरदेउ न मारिबे झूरि ॥जऊ गूरदेउ त अम्रित बानीं । जऊ गुरदेउ त अकथ कहानीं ॥जऊ गूरदेउ त अम्रित देह । जऊ गुरदेउ नाम जपी लेहि ॥जऊ गूरदेउ भवन त्रै सूझै । जऊ गुरदेउ ऊच पद बूझै ॥जऊ गूरदेउ त सीसु आकासि । जऊ गूरदेउ सदा सावासि ॥जऊ गूरदेउ सदा बैरागी । जऊ गूरदेउ पर निंदा तिआगी ॥जऊ गूरदेउ बुरा भला एक । जऊ गूरदेउ लिलाट हि लेख ॥जऊ गूरदेउ कंधु नही हिरै । जऊ गूरदेउ देहुरा फिरै ॥जऊ गूरदेउ त छापरि छाईं । जऊ गूरदेउ सिहज निकसाई ॥जऊ गूरदेउ त अठसठि नाइआ । जऊ गूरदेउ तनि चक्र लगाइआ ॥जऊ गूरदेउ त दुआदस सेवा । जऊ गूरदेउ सभै बिखु मेवा ॥जऊ गूरदेउ त संसा टूटै । जऊ गूरदेउ भऊजल तरै ।जऊ गूरदेउ त जनमि न मरै ॥जऊ गूरदेउ अठदस बिऊहार । जऊ गूरदेउ अठारह भार ॥बिनु गुरदेउ अवर नहीं जाई । नामदेउ गुरकी सरणाई ॥२१८साहिबु संकटवै सेवकु भजै । चिरंकाल न जीवै दोऊ कुल लजै ॥तेरी भगति न छोडऊ भाजै लोगु हसै । चरन-कमल मेरे हीअरे बसै ॥ रहाऊ ॥जैसे अपने धनहि प्राना मरतु भांडै । तैसे संत जनां रामनामु न छांडै ॥गंगा गइआ गोदावरी संसारके कामा । नाराइणु सुप्रसंन होइ त सेवकु नामा ॥२१९सहज अवलि घुंडी मणी गाडी चालती । पीछै तिनका लैकरि हांकती ॥जैसे धनकत ध्रुठिटि हांकती । सरि धोवन चाली लाडुली ॥धोबी धोवै बिरह बिराता । हरिचरन मेरा मनु राता ॥भणति नामदेउ रमि रहिआ । अपने भगतपर करि दइआ ॥२२०दास अनिंन मेरो निज रुप ।दरसन निमख ताप त्रयी मोचन परसत मुकति करत ग्रिह कूप ॥मेरी बांधी भगतु छडावै बांधै भगतु न छूटै मोहि ।एक समै मोकऊ गहि बांधै तऊ फुनि मो पै जबाबु न होइ ॥मै गुन बंध सगल का जीवनि मेरी जीवनि मेरे दास ।नामदेव जाके जीअ ऐसी तैसे ताकै प्रेम प्रगास ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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