हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद ५१ से ६० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद ५१ से ६० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद ५१ से ६० Translation - भाषांतर ५१बंदे की बंदि छोडि बनवारी ।असरन सरनि राम कहे बिन आइ परे जम धारी ॥टेक॥केई बांधे जोग जप करि केई तीरथं दांना ।केई बांधे नेमा बरतां तेरे हाथि नाथ भगवाना ॥१॥रामदेव तेरी दासी माया नाटी कपट कीन्हां ।थावर जंगम जीति लिया है आपा पर नहीं चीन्हां ॥२॥नांमदेव भणै मैं तुम थैं छूंटू जो तुम छोडावौ गोपालजी ।तुम बिन मेरे गाहक नांही दीनानाथ दयाल जी ॥३॥५२देवा मेरी हीन जाती है काहू पै सहीं न जाती हो ॥टेक॥मैं नहीं मैं नहीं मैं नहीं मांधौ तूं है मैं नहीं हौं ।तू एक अनेक है बिस्तरयो मेरी चरम न साई हो ॥१॥जैसे नदीया समद समानी धरनी बहती हो ।तुम्हारी कृपा थें नीच ऊंच भए तूं काल की कांती हो ॥२॥नामौ कहै मेरी देवी न देवा संग न साथी मीतुला ।तुम्हारी सरनि मैं भाजि दुरयौं हैं बंदि छोडि बाबा बीठुला ॥३॥५३हरि नांव राजै हरि नांव गाजै । हरि कौ नांव लेतां कांइ नर लाजै ॥टेक॥हरि मेरा मातु पिता गुरुदेवा । अपणें राम की करिहूं सेवा ॥१॥हरि नांव मैं निज कंवला दासी । हरि नांवै संकर अविनासी ॥२॥हरि नांव मैं ध्रू निहचल करीया । हरि नांव मैं प्रहलाद उधरीया ॥३॥हरि मेरे जीवन मरण के साथी । हरि जल मगन उधारयौ हाथी ॥४॥हरि मेरे संगि सुष दाता । हरि नामैं नांमदेव रंगि राता ॥५॥५४इतना कहत तोहि कहा लागत । राम नांव ले सोवत जागत ॥टेक॥ध्रू प्रहलाद इहि गुन तारे । राम नाम अखिर हिरदै विचारे ॥१॥राम नांम सनकादिक राता । राम नांम नृभै पद दाता ॥२॥भणत नामदेव भाव ऐसा । जैसी मनसा लाभ तैसा ॥३॥५५बोलिधौं निर्वाणैं पद राम नांम । ठाली जिभ्या कौणै है काम ॥टेक॥सेवा पूजा सुमिरन ध्यांन । झूठा कीजै बिन भगवान ॥१॥तीरथ बरत जगत की आस । फोकट कीजै बिन बिसवास ॥२॥ऐकादसी जगत की करनी । पाया महल तब तजी निसरनी ॥३॥भणत नांमदेव तुम्हारे सरनां । मुझा मनवा तुझा चरनां ॥४॥५६ऐसे रामहिं जानौ रे भाई । जैसे भृंगी कीट रहै ल्यौ लाई ॥टेक॥सरब रुप सरबेसर स्वामी । त्रिगुण रहत देव अंतर जामी ॥१॥थावर जंगम कीट पतंगा । सति राम सबहिन के संगा ॥२॥नामा कहै मेरे बंध न भाई । रामनांम मैं नौ निधि पाई ॥३॥५७ऐसे राम ऐसे हेरा । राम छांडि चित अनत न फेरौ ॥टेक॥ज्यूं विषई हेरै परनारी । कौडा डारत फिरै जुवारी ॥१॥ज्यूं पासा डारै पसवारा । सोना घडता हरै सोनारा ॥२॥जत्र जाउं तत्र तू ही रामा । चित चिंउंट्या प्रंणवै नामा ॥३॥५८पांणीयां बिन मीन तलफै । ऐसे रांम नांम बिन बापुरौ नामा ॥टेक॥तन लागिलै ताला बेली । बछा बिन गाइ अकेली ॥१॥जैसे गाइ का बछा छूटिला । थन लागिलै मांषन घूंटिला ॥२॥मांषन मेल्हिलै ताती धांमा । ऐसे रांम नांम बिन बापुरो नांमा ॥३॥जैसे बिषई चित पर नारी । ऐसे नांमदेव प्रीति मुरारी ॥४॥५८अनबोलता चरन न छांडू । मोहि तुम्हारी आंन बाबा बीठला ॥टेक॥टगमग टगमग क्यों चोघता । एक बोल बोलौ बोलता ॥१॥कहिधौं कूतल कहिधौं बली । प्रणवत नांमदेव पुरवौ रली ॥२॥५९जत्र जाउं तत्र बीठल भैला । बीठलियौ राजाराम देवा ॥टेक॥आनिलै कुंभ भराइले उदिक, बालगोबिन्दहिं न्हाण रचौं ।पहलै नीर जु मछ बिटाल्यौ, झूठण भैला कांइ करुं ॥१॥आंणिलै केसरि सूकडि समसरि, बाल गोबिंदहिं षौलि रचूं ।पहली बास भुवंगम लीन्ही, जूंठणि भैला कांइ करुं ॥२॥आंणिलै पुहुप गूंथिलै माला, बाल गोबिंदहिं हार रचूं ।पहली बास जुं भंवरै लीनी, जूठणि भैल कांइ करु ॥३॥आंणिलै धृत जोइलै बाती, बाल गोबिंदहि जोति रचूं ।पहली जोति जु नैनानि देषी, जूठणि भैला कांइ करुं ॥४॥आंणिलै अगरषेइलै धूपा, बाल गोबिन्दहिं धूप रचूं ।पहली बास नासिका आई, जूठणि भैला कांइ करुं ॥५॥आंणिलै तंदुल रांधिलै षीरो, बाल गोबिंदहि भोग रचूं ।पहली दूध जु बछा बिटालौ, जूठणि भैला कांइ करुं ॥६॥आऊं तौ बीठल जाऊं तौ बीठल, बीठल व्यापक माया ।नांमा का चित हरि सूं लागा, ताथैं परम पद पाया ॥७॥६०कांइ रे मन विषिया बन जाहिं । देषत ही ठग मूली षांहि ॥टेक॥मधुमाषी संचियो अपार । मधु लीन्हौ मुष दीन्हीं छार ॥१॥गऊ बछ कौ संचै षीर । गलै बांधि दुहि लेइ अहीर ॥२॥जैसे मीन पानी मैं रहै । काल जाल की सुधि न लहै ॥३॥जिभ्या स्वारथ निगल्यौ लोह । कनक कामनी बांध्यौ मोह ॥४॥माया काज बहुत कर्म करै । सो माया ले कुंडे धरै ॥५॥अति अयान जानै नहीं मूढ । धन धरते अचला भयो धूल ॥६॥काम क्रोध त्रिस्ना अति जरै । साध संगति कबूहूँ नहिं करै ॥७॥प्रणवत नांमदेव ताकी आण । निरभै होइ भजौ किन राम ॥८॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP