हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद १०१ से ११० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद १०१ से ११० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद १०१ से ११० Translation - भाषांतर १०१नाराइंन सूं मन न रंजै । संजम चूकै अरु ब्रत षंडै ॥टेक॥ऐकादसी ब्रत जुगति न जानैं । चंचलचित मन थिर न धरै ॥१॥पंच आतमा राषि न सकई । राम दोष दे भूष मरै ॥२॥पर निंद्या जू आप परकास । झूठी साषि सहजि ठारै ॥३॥परत्रिया सूं रमैं रैनि दिन । नेम धरम सबै हारै ॥४॥जलहर पैसि पषालै काया । अंतरि मैल न तउ उतरै ॥५॥भणै नांमदेव कछु न सूझै । पूजा कौन देव की करै ॥६॥१०२पांडे देह अरथि लगाई ।सात बरस कौ मांहि हौ । तब पांच बरस की माई ॥टेक॥अगम अलेष बिचारि देषौ । सुसै स्वान छिपाई ।मीन जलकौ गगन चढीयौ । बाघ षेदे गाई ॥१॥समंद भीतरि बूंद जाचै । बूंद समंद समाई ।नामदेव कै ऐक सोई । अलष लष्यौ न जाई ॥२॥१०३मन मंझा तूं गोविंद चरण चित लाइ रे ।हरि तजि अनत न जाइ रे ॥टेक॥बलिराजा धुंधमार, न जीवै जुग चार ।मेरी मेरी करता, ते भी गये रे मन मंझा ॥१॥रे मन मछिद्रनाथ सहस चौरासी होते ।ते भी देषत काल लीये रे मन मंझा ॥२॥रवि ससि दोऊ भाई, फिरत गगन लाई ।ऐसे भूला भ्रम सब जा रे मन मंझा ॥३॥अहंकार दिन दस राषिलै दिनच्यार ।पसुडानै मुकति न होई रे मन मंझा ॥४॥नामदेव छीप्यौ चौपई गाई ।जाका जैसा भावै तिन तैसी सिधि पाई रे मंझा ॥५॥रागा आसावरी१०४जोगिया जिनी षरचसि दामा । सूंम की नाईं भेटिलै रामा ॥टेक॥बाई कौ दाम न षरचौ भावै । गांठि परै तब परचौ आवै ॥१॥भणत नांमदेव राषिलै थाती । प्रगटी जोति जहां दीवा न बाती ॥२॥१०५झिलिमिलि झिलिमिलि झिलिमिलि तारा ।सो झिलिमिलि तिहुं लोक पियारा ॥टेक॥रहै अकास पडै नहीं दिष्टी । पकड्या जाइ न आवै मुष्टी ॥१॥दीपक पषै तेल बिन बाती । जोति सरुप बलै दिन राती ॥२॥भणत नांमदेव अमर पद परस्या । पिंडभया मुकति तया तत दरस्या ॥३॥१०६त्रिवेणी प्राग करहु मन मंजन, सेवो राजाराम निरंजन ॥टेक॥पुरी द्वारिका निकटि गोमती । गंग जमुन बिच बहै सुरसती ॥१॥अठसठि तीरथ मधि सरोवर । ऐक तया तामैं ताकौं घर ॥२॥भणत नांमदेव सुणौं तिलोचन । ए तीरथ सब अघके भोचन ॥३॥१०७माधौजी माया मिलन न देई । जन जीवै तौ करै सनेही ॥टेक॥माया जलधर मोर मन मछी । नीर बिना क्यों जीवै हो पियासी ॥१॥जे मोडौं तौ मूल बिनासा । बोझ पड्या नहीं आवै सांसा ॥२॥भणत नामदेव दीन दयाला । निरधारन के तुम आधारा ॥३॥१०८माधौ माली एक सयाना । अंतरिगत रहै लुकानां ॥टेक॥आपै बाडी आपै माली, कली कली कर जोडै ।पाके काचे, काचे पाके, मनि मानै ते तोडै ॥१॥आपै पवन आपही पाणी, आपै बरिषै मेहा ।आपै पुरिष नारि पुनि आपै आपै नेह सनेहा ॥२॥आपै चंद सूर पुनि आपै, आपै धरनि अकासा ।रचनहार विधि ऐसी रची है, प्रणवै नामदेव दासा ॥३॥१०९काल न्याइ विचारि हौ । काइथ बांभण तिलक सुमिरि हौ ॥टेक॥चारि बेद चौ धरणी । नरक पडौ धरमादिक करणी ॥१॥सूझणि ना परि धांधे । चंद सूर दोउ उर धरि बांधे ॥२॥बांभण मद भरि सरवा । जतन पीवै तत मातल बरवा ॥३॥हरि कौ दास भणै नामा । राम नाम बिन और न जाना ॥४॥११०जाणौं नै जाणौं बेद पुरानां । छोडौं पाना पोथी ।बिन मेघा मुकताहल बरवै । भ्रब निरंतर मोती ॥टेक॥बिनै बजाया बाजा बाजै । नादै अंबर गाजै ।बिन भेरै होत झणकारा । न दीसै बजांवण हारा ॥१॥बिन पावक जोती ही दीसै । सुनि मैं सूता जागै ।अंधियारानौ भौ भागोरे भाई । जे जोइये ते आगै ॥२॥कर जोडिनै नामौ बिनवै । मैं मूरिष मति थोडी ।ये पदनौं हेतारथ जांणै । तेन्है पगि लागूं करजोडी ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP