शुनक II. n. (सो. काश्य.) एक राजा, जो भागवत एवं वायु के अनुसार गृत्समद राजा का पुत्र, एवं शौनक राजा का पिता था
[भा. ९.१७.३] । महाभारत में इसे एक महर्षि कहा गया है, एवं इसके पिता एवं माता का नाम क्रमशः रुरु, एवं प्रमद्वरा कहा गया है
[म.आ. ८] । पुराणों में रुरु राजा का नाम गलती से छोड़ दिया गया है, जिस कारण इसे गृत्समद राजा का पुत्र कहा गया है । आगे चल कर यह महर्षि बन गया, एवं इसके वंश के लोग अपने को क्षत्रियब्राह्मण कहने लगे । सुविख्यात शौनक ऋषि इसका ही पुत्र था
[म. अनु. ६०.६५] । शुनक स्वयं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में एक ऋषि के नाते उपस्थित था
[म. स. ४.१५] ।
शुनक III. n. एक राजा, जो चंद्रहन्तृ असुर के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म. आ. ६१.35] । इसे अपने पूर्वज हरिणाश्र्च राजा से एक खड्ग की प्राप्ति हुई थी, जो इसने आगे चल कर उशीनर राजा को प्रदान किया था
[म. शां. १६०.७७] । चंद्रतीर्थ नामक तीर्थस्थान में इसे मुक्ति प्राप्त हुई थी ।
शुनक IV. n. (प्रद्योत. भविष्य.) एक राजा, जो प्रद्योत राजवंश का संस्थापक माना जाता है । यह प्रारंभ में रिपुंजय राजा का अमात्य था, जिसका इसने वध कर अपने प्रद्योत नामक पुत्र को राजगद्दी पर बिठाया (रिपुंजय ४. देखिये) ।
शुनक V. n. एक आचार्य, जो भागवत के अनुसार व्यास की अथर्वन् शिष्यपरंपरा में से पथ्य नामक आचार्य का शिष्य था ।