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वीतहव्य

   { vītahavya }
Script: Devanagari

वीतहव्य     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
VĪTAHAVYA   Another name of King. Ekavīra, otherwise known as Haihaya. (For further details see under Ekavīra).

वीतहव्य     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक वैदिक ऋषि   Ex. वीतहव्य ने योग द्वारा अपने प्राण निकाल दिए ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
वीतहव्य ऋषि
Wordnet:
benবীতহব্য
gujવીતહવ્ય
kasویٖتٔہوٚی
kokवीतहव्य
marवीतहव्य ऋषी
oriବୀତହବ୍ୟ ଋଷି
panਵੀਤਹਤਯ
sanवीतहव्यः
urdویت ہویہ , ویت ہویہ رشی
noun  वह जो यज्ञ में आहुति देता हो   Ex. वीतहव्य को पवित्रता का पूरा ध्यान रखना चाहिए ।
ONTOLOGY:
व्यक्ति (Person)स्तनपायी (Mammal)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
panਵੀਤਹਵਯ
sanअध्वर्युः

वीतहव्य     

वीतहव्य n.  (सू. निमि.) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के अनुसार सुनय राजा का पुत्र था । भागवत में इसे शुनक राजा का पुत्र कहा गया है ।
वीतहव्य (आंगिरस) n.  एक राजा, जो ऋग्वेद के कई सूक्तों का प्रणयिता माना जाता है [ऋ. ६.१५] । ऋग्वेद में सुदास राजा के समकालीन के रूप में, एवं भरद्वाज ऋषि के साथ साथ इसका निर्देश प्राप्त है [ऋ. ६.१५.२-३, ७.१९.१३] । अर्थवेद में, एक गाय (अथवा ब्राह्मण स्त्री) का हरण करने के कारण, इसका एवं इसके ‘वैतहव्य’ नामक अनुगामियों का पराजय होने की एक संदिग्ध कथा प्राप्त है । वहाँ उस गाय का संबंध जमदग्नि एवं असित ऋषियों के साथ निर्दिष्ट है [अ. वे. ५.१७.६-७, १८.१०-१२] । किन्तु इस कथा का सही अर्थ अस्पष्ट है । अथर्ववेद में अन्यत्र इसे सृंजयो का राजा बताया गया है, एवं इसीके द्वारा भृगुऋषि का वध होने का निर्देश वहाँ प्राप्त है [अ. वे. ५.१९.१] । संभवतः इस कथा का संकेत परशुराम के पिता जमदग्नि भार्गव की मृत्यु से होगा, एवं इस कथा में निर्दिष्ट वीतहव्य हैहय वंशीय होगा। यदि यह सच हो, तो हैहयवंशीय वीतहव्य एवं यह दोनों एक ही होंगे (वीतहव्य २. देखिये) ।
वीतहव्य (श्रायस) n.  एक राजा [तै. सं. ५.६, ५.३] ;[का. सं. २२.३] ;[पं. ब्रा. २५.१६.३] । यह संभवतः वीतहव्य आंगिरस के वंश में ही उत्पन्न हुआ होगा। पंचविंश ब्राह्मण में इसे ‘निर्वासित जीवन व्यतीत करनेवाला’ (निरुद्ध) राजा बताया गया है [पं. ब्रा. ९.१.९] । किन्तु भाष्यकार इसे एक राजा नहीं, बल्कि एक ऋषि मानते है । संतति प्रदान करनेवाले की प्रशंसा करते समय, इसका निर्देश उदाहरण के रूप में प्राप्त है, जहाँ ऐसा ही एक यज्ञ करने के कारण इसे १००० पुत्र उत्पन्न होने की जानकारी दी गयी है ।
वीतहव्य II. n.  (सो. सह.) एक राजा, जो हैहयवंशीय तालजंघ राजा का पुत्र था । यह सुविख्यात हैहय सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन का प्रप्रौत्र, एवं जयध्वज राजा का पौत्र था । इसे कुल सौ भाई थे । परशुराम के द्वारा किये गये क्षत्रियसंहार के समय यह अपना राज्य छोड़ कर भाग गया। रास्ते में इसने अपने पिता तालंजघ को देखा, जो परशुराम के बाणों से आहत हुआ था । उसे रथ पर बिठा कर यह हिमालय प्रदेश में गया, एवं वही एक दर्रे में छिप गया। आगे चल कर क्षत्रियसंहार से परशुराम के निवृत्त होने पर, यह हिमालय से लौट आया, एवं इसने माहिष्मती नामक नगरी की स्थापना की। पश्र्चात् इसने अयोध्या पर आक्रमण किया, एवं वहॉंके इक्ष्वाकुवंशीय फल्गुतंत्र राजा को पराजित किया। आगे चल कर, इसने काशि देश पर आक्रमण किया, किन्तु यह उस देश पर विजय न पा सका, एवं इसका एवं काशिराजाओं का युद्ध पीढ़ियों तक चलता रहा।
वीतहव्य II. n.  इस ग्रंथ में इसे हैहय कहा गया है, एवं इसकी दस पत्नीयों का निर्देश वहाँ प्राप्त है । अपनी इन पत्नीयों से इसे प्रत्येक से दस पुत्र उत्पन्न हुए, जिन्होंने काशि देश के हर्यश्र्व, सुदेव एवं दिवोदास राजाओं को पराजित किया। आगे चल कर, काशि के दिवोदास राजा को भरद्वाज मुनि के कृपाप्रसाद से प्रतर्दन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। प्रतर्दन ने इसके सारे पुत्रों का वध किया, एवं इस पर भी इतना जोरदार आक्रमण किया कि, यह भृगु ऋषि के आश्रम में जा कर छिप गया। इसका पीछा करते हुए, प्रतर्दन भृगुऋषि के आश्रम में पहुँच गया, एवं इसे ढूँढ़ने लगा। इस पर भृगुऋषि ने प्रतर्दन से कहा कि, उसके आश्रम में रहनेवाले सारे लागे ब्राह्मण ही है, एवं वहाँ क्षत्रिय कोई भी नहीं है । पश्र्चात् भुगुऋषि के कहने पर इसने अपने क्षत्रियधर्म को छोड़ दिया, एवं यह ब्राह्मण बन गया।
वीतहव्य II. n.  आगे चल कर भृगुऋषि के कृपाप्रसाद से यह ब्रह्मर्षि बन गया, एवं इसे गृत्समद नामक पुत्र उत्पन्न हुआ [म. अनु. ३०.५७-५८] । इसका गोत्र भार्गव था एवं यह उस गौत्र का मंत्रकार भी था । वीतहव्य नामक एक जीवन्मुक्त ऋषि की कथा वसिष्ठ ने राम से कथन की थी, जो संभवतः इसीकी ही होगी। कई अभ्यासक, वैदिक साहित्य में निर्दिष्ट वीतहव्य आंगिरस नामक ऋषि एवं यह दोनों एक ही मानते है ।

वीतहव्य     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  एक वेदीक रुशी   Ex. वीतहव्यान योगाच्या आदारान आपलो जीव कुशीन काडून दवरलो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
वीतहव्य रुशी
Wordnet:
benবীতহব্য
gujવીતહવ્ય
hinवीतहव्य
kasویٖتٔہوٚی
marवीतहव्य ऋषी
oriବୀତହବ୍ୟ ଋଷି
panਵੀਤਹਤਯ
sanवीतहव्यः
urdویت ہویہ , ویت ہویہ رشی
noun  यज्ञांत आहुती दिता असो   Ex. वीतहव्याक पवित्रतायेचेर पुराय लक्ष दवरपाक जाय
ONTOLOGY:
व्यक्ति (Person)स्तनपायी (Mammal)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
panਵੀਤਹਵਯ
sanअध्वर्युः

वीतहव्य     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
वीत—हव्य  mfn. mfn. (वीत॑-) one whose offerings are acceptable, ib.
ROOTS:
वीत हव्य
वीत—हव्य  m. m.N. of a man with the patr.आङ्गिरस (author of [RV. vi, 15] ), [Anukr.]
ROOTS:
वीत हव्य
श्रायस   of a man with the patr., [TS.] ; [PañcavBr.]
of a king who obtained the rank of a Brāhman, [MBh.]
of a son of शुनक and father of धृति, [Pur.]
of कृष्ण, [Pañcar.]
pl. the sons of वीत-हव्य, [MBh.]

वीतहव्य     

See : अध्वर्युः

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