चार्वाक n. नास्तिक जडवाद का प्रातिनिधिक आचार्य । यह बृहस्पति का शिष्य था । बृहस्पतिसूत्र जडवाद का ग्रंथ है । इस ग्रंथ में केवल प्रत्यक्ष प्रमाण तथा ऐहिक सुख को ही परमेश्वय माना है ।
चार्वाक n. चार्वाकप्रणीत ‘नास्तिक जडवाद’ के अनुसार, केवल भौतिक जगत् ही सत्य है । पंचमहाभूतों में से पृथ्वी, जल, वायु तथा अग्नि चार भूत प्रत्यक्ष एवं सत्य है, आकाश अप्रत्यक्ष हैः इन चार भूतों के योग से ही विश्व के समस्त पदार्थो की उत्पत्ति है । आत्मा पृथक नहीं है । चार भूतों के योग से ही चैतन्य उत्पन्न हो जाता है । मरने के बाद जीव नाम की कोई वस्तु शेष नहीं रह जाती । चतुर्भूतों का विलय हो जाता है । उनके योग से उत्पन्न चैतन्य नष्ट हो जाता है । अतः परलोक, स्वर्ग, नरक, ये सब कवि कल्पनाएँ है । संसार का नियंत्रण करनेवाला राजा ही परमेश्वर है । धर्मकर्म धूर्त पुरोहितों का जीविकासाधन है । भस्मीभूत देह का पुनरागमन नही होगा । अतः जबतक जिये सुखपूर्वक जिये । ऋण कर के भी धृतपान करे । इस मत के प्रतिपादको में पुराण कश्यप, अजितकेशकंबलिन्, पकुध, काच्छायन आदि आचार्य प्रमुख थे । इस विचारधारा के प्रतिपादन के लिये, चार्वाक के नाम का प्रातिनिधिक रुप से निर्देश किया जाता है । इस मत का प्रतिपादन करनेवाले चार्वाकदर्शनादि कई ग्रंथ भी उपलब्ध है । एक सामान्य लोकमान्य मत चार्वाक प्रतिपादन करता है । अतः चार्वकदर्शन को लोकायतदर्शन भी कहते है ।
चार्वाक II. n. दुर्योधन का मित्र । ब्राह्मणों का अवमान करने से इसका नाश हुआ
[म.शां. ३९-४०] । इसका पूर्वजन्म भी यहॉं दिया है ।