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सुरथ n. एक त्रिगर्तदेशीय राजा, जो जयद्रथ एवं दुःशला के पुत्रों में से एक था । युधिष्ठिर के अश्वमेधयज्ञ के समय, अजु्रन इसके देश में अश्वमेधीय अश्व के साथ उपस्थित हुआ। यह समाचार सुन कर, अर्जुन के द्वारा किये गये अपने पिता के वध का स्मरण कर यह भयभीत हुआ, एवं इसने तत्काल प्राणत्याग किया [म. आश्र्व. ७७] । किन्तु कृष्ण की कृपा से यह पुनः जीवित हुआ, एवं युधिष्ठिर के अश्वमेधयज्ञसमारोह में उपस्थित रह सका [जै. अ. १.६१] । सुरथ II. n. एक त्रैगर्त राजकुमार, जो जयद्रथ का छोटा भाई एवं दुर्योधनपक्षीय दस संशप्तक योद्धाओं में से एक था । भारतीय युद्ध में अर्जुन ने इसका वध किया [म. द्रो. १७.३६] । सुरथ III. n. शिबि देश का एक राजा, जो त्रिगर्तराज जयद्रथ का परम मित्र था । यह सुरत शैब्य नाम से सुविख्यात था, इसके पुत्र का नाम कोटिकाश्य था [म. व. २५०.४] । जयद्रथ के द्वारा किये गये द्रौपदीहरण के युद्ध में नकुल ने इसे परास्त किया [म. व. २५५.१८-२२] । सुरथ IV. n. एक पांचाल राजकुमार, जो द्रुपद राजा का पुत्र था । भारतीय युद्ध में यह अश्वत्थामन् के द्वारा मारा गया [म. द्रो. १३१.१२६] ;[श. १३.३९] । सुरथ IX. n. (सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो जह्नु राजा का पुत्र, एवं विदूरथ राजा का पिता था [मत्स्य. ५०.३४] । सुरथ V. n. कृपाचार्य का एक चक्ररक्षक [म. वि. ५२.९२८* पंक्ति. ८] । सुरथ VI. n. यमसभा में उपस्थित एक राजा [म. स. ८.११] । सुरथ VII. n. चंपकनगरी के हंसध्वज राजा के पाँच पुत्रों में से एक । अर्जुन के अश्वमेध-दिग्विजय के समय उसने इसका शिरच्छेद किया था [जै. अ. २०-२१] । सुरथ VIII. n. कुंडलनगरी का एक राजा, जिसने राम दशरथि का अश्वमेधीय अश्व पकड़ रक्खा था । इसने हनुमत्, सुग्रीव आदि को कैद कर रक्खा था, एवं शत्रुघ्न को मूर्च्छित किया था । पश्चात् स्वयं राम ने युद्ध-भूमि में प्रविष्ट हो कर, इसे परास्त किया । इसके पुत्र का नाम बलमोदक था [पद्म. पा. ४९.५२] ; बलमोदक देखिये । सुरथ X. n. ०. सुरथद्वीप नामक देश का एक राजा, जो कुशद्वीपाधिप ज्योतिष्मत् राजा का पुत्र था [मार्क. ५०.२६] । सुरथ XI. n. १. एक राजा, जो विदर्भ देश के सुदेव राजा का पुत्र था [वा. रा. उ. ७८] । सुरथ XII. n. २. एक राजा, जो नाभाग राजा की पत्नी सुप्रभा का पिता था । गंधमार्दन पर्वत पर तपस्या करते समय, यह कन्या इसे प्राप्त हुई थी । सुरथ XIII. n. ३. स्वारोचिष मन्वंतर का एक राजा, जो देवी की उपासना करने के कारण अपने अगले जन्म में सावर्णि मनु नामक राजा बन गया था । एक बार म्लेंच्छों ने इसके राज्य पर आक्रमण किया, जिस कारण राज्यभ्रष्ट हो कर यह सुमेधस् ऋषि के आश्रम में रहने पर विवश हो गया । आगे चल कर इसे एवं समाधि नामक वैश्य को सुमेधस् ऋषि ने देवी की उपासना करने का आदेश दिया । तदनुसार आराधना करने पर देवी ने समाधि वैश्य को स्वर्ग, एवं इसे राज्य पुनः प्राप्त होने का आशीर्वाद दिया । देवी के आशीर्वाद के कारण, अपने अगले जन्म में यह विवस्वत् आदित्य का सावर्णि नामक पुत्र बन गया, एवं वैवस्वत मन्वंतर के पश्चात् उत्पन्न हुए सावर्णि मन्वंतर का अधिपति बन गया [दे. भा. ५.३२-३५] ;[ब्रह्मवै. २.६२] ;[मार्क. ७८-९०] ;[शिव. उ. ४५] । सुरथ XIV. n. ४. (सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार रणक राजा का, विष्णु के अनुसार कुंडक राजा का, वायु के अनुसार क्षुलिक राजा का, एवं मत्स्य के अनुसार कुलक राजा का पुत्र था । भागवत एवं विष्णु में इसके पुत्र का नाम ‘सुमित्र’ दिया गया है [भा. ९.१२.१५] ;[विष्णु ४.२२.९-१०] ।
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