सुप्रभा n. स्वर्भानु (राहु) की एक कन्या, जो नमुचि की पत्नी थी
[भा. ६.६.३२] ।
सुप्रभा II. n. वदान्य ऋषि की एक कन्या, जो अष्टावक्र ऋषि की पत्नी थी ।
सुप्रभा III. n. सुरथ राजा की कन्या, जो नाभाग राजा की पत्नी थी । इसे कृपावती नामान्तर भी प्राप्त था । एक बार इसने अगस्त्य ऋषि को त्रस्त किया, जिस कारण उसने इसे वैश्ययोनि में अधःपतित होने का शाप दिया । तदनुसार यह एवं इसका पुत्र भलंदन वैश्य बन गये।पश्चात् इसका पुत्र बड़ा होने पर इसने उसे क्षत्रियोचित राजधर्म पर उपदेश किया, जिस कारण सद्गति पा कर वह पुनः एक बार क्षत्रिय बन गया
[मार्क. ११२] । इसकी कथा मार्कंडेय में निर्दिष्ट सुदेव राजा की कथा से काफ़ी मिलतीजुलती प्रतीत होती है (सुदेव १०. देखिये) ।
सुप्रभा IV. n. कृशाश्र्व प्रजापति से उत्पन्न दो कन्याओं में से एक, जिसकी बहन का नाम जया था । इन दो बहनों से आगे चल कर सौ संहाअस्त्रों का निर्माण हुआ, जिन्हें विश्वामित्र ऋषि ने प्रापत किया
[वा. रा. बा. २१.१५] ।
सुप्रभा V. n. आर्ष्टिपेण राजा की स्नुषा, जो उसके भर नामक पुत्र की स्त्री थी ।
सुप्रभा VI. n. श्रीकृष्ण की एक पत्नी, जिसके द्वारका में स्थित प्रासाद का नाम सूर्यप्रभ था
[म. स. परि. १.२१.१२५४] ।