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नृसिंह

   
Script: Devanagari
See also:  नुसिंह , नृसिंहजयंती

नृसिंह     

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See : नरसिंह

नृसिंह     

नृसिंह n.  भगवान् विष्णु का चौदहवॉं अवतार । इसका आधा शरीर सिंह का, एवं आधा मनुष्य का था । इस कारण, इसे ‘नृसिंह’ नाम प्राप्त हुआ । इसका अवतार चौथे युग में हुआ था [दे.भा.४.१६] । पुराणों में निर्देश किये गये बारह देवासुर संग्रामों में, ‘नारसिंहसंग्राम’ पहले क्रमांक में दिया गया है [मस्त्य.४७.४२] । हिरण्यकशिपु नामक एक राक्षस ने ग्यारह हजार पॉंच सौ वर्षौ तक तप कर, ब्रह्माजी को प्रसन्न किया, एवं ब्रह्माजी से अमरत्व का वर प्राप्त कर लिया । उस वर के कारण, देव, ऋषि, एवं ब्राह्मण अत्यंत त्रस्त हुये, एवं उन्होंने हिरण्यशिपु का नाश करने के लिये अवतार लेने की प्रार्थना श्रीविष्णु से की । हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्राद भगवद्‌भक्त था । उसको भी उसके पिता ने अत्यंत तंग किया था । फिर प्रह्राद के संरक्षण के लिये, एवं देवों को अभय देने के लिये, श्रीविष्णु ‘नृसिंह अवतार’ ले कर, प्रगट हुये । हिरण्यकशिपु के प्रासाद के खंभे तोड कर, नृसिंह प्रगट हुआ [नृसिंह.४४.१६] , एवं सायंकाल में इसने उसका वध किया [भा.२.७] ;[ह.वं.१.४१,३९.७१] ;[लिंग.१.९४] ;[मत्स्य.४७.४६] ;[पद्म. उ.२३८] । गंगा नदी के उत्तर किनारे पर हिरण्यकशिपु का वध कर, नृसिंह दक्षिण हिंदुस्थान में गोतमी (गोदावरी) नदी के किनारे पर गया, एवं उसने वहॉं दण्डक देश का राजा अंबर्य का वध किया [ब्रह्म.१४९] । इस प्रकार वध करने से इसे खून चढ गया । फिर शिवजी ने शरभ का अवतार ले कर, नृसिंह का वध किया [लिंग.१.९५] । वेदों में प्राप्त नमुचि की एवं नृसिंह की कथा अनेक दृष्टि से समान है । ‘नृसिंह अवतार का निर्देश तैत्तैरीय आरण्यक’ में भी प्राप्त है । ‘नृसिंहताषीनी’ नामक एक उपनिषद्‍ भी उपलब्ध है । नृसिंह का कथा प्रायः सभी पुराणों में दी गयी है । किन्तु प्रह्राद की संकटपरंपरा एवं नृसिंह का खंभे से प्रगट होने का निर्देश, कई पुराणों में अप्राप्य है [म.स.परि.१. क्र.२१ पंक्ति. २८५-२९५] ;[हं.वं.३.४१-४७] ;[मत्स्य.१६१-१६४] ;[ब्रह्मांड. ३.५] ;[वायु. ३८.६६]
नृसिंह n.  नृसिंह की उपासना भारतवर्ष में आज भी अनेक स्थानों पर बडी श्रद्धा से की जाती है । नृसिंह के मंदिर एवं वहॉं पूजित नृसिंह के नाम, स्थानीय परंपरा के अनुसार, अलग अलग दिये जाते है । इन नृसिंहस्थानों की एवं वहॉं पूजित नृसिंहदेवता के स्थानीय नामों की सूचि नीचे दी गयी है । उनमें से पहला नाम नृसिंहस्थान का, एवं ‘कोष्ठक’ में दिया गया नाम नृसिंह का स्थानीय नाम का है ।
नृसिंह n.  अयोध्या (लोकनाथ), आढय (विष्णुपद), उज्जयिनी (त्रिविक्रम), ऋषभ (महाविष्णु), कपिलद्वीप (अनन्त(, कसेरट (महाबाहु), कावेरी (नागशायिन्), कुण्डिन (कुण्डिनेश्वर), कुब्ज (वामन), कुब्जागार (हृषीकेश), कुमारतीर्थ (कौमार), कुरुक्षेत्र (विश्वरुप),केदार (माधव), केरल (बाल), कोकामुख (वराह), क्षिराब्धि (पद्मनाथ), गंधद्वार (पयोधर), गन्धमादन (अचिन्त्य), गया (गदाधर), गवांनिष्क्रमण (हरि), गुह्यक्षेत्र (हरि), चक्रतीर्थ (सुदर्शन), चित्रकूट (नराधिप), तृणबिंदुवन (वीर), तजसवन (अमृत), त्रिकूट (नागमोक्ष),दण्डक (श्यामल), दशपुर (पुरुषोत्तम), देवदारुवन (गुह्य), देवशाला (त्रिविक्रम), द्वारका (भूपति), धृष्टद्युम्न (जयध्वज), निमिष (पीतवासस्), पयोष्णी (सुदर्शन), पाण्डुसह्य (देवेश), पुष्कर (पुष्कराक्ष), पुष्पभद्र (विरज), प्रभास (रविनन्दन), प्रयाग (योगमूर्ति), भद्रा (हरिहर), भाण्डार (वासुदेव), मणिकुण्ड (हलायुध), मथुरा (स्वयंभुव), मन्दर (मधुसूदन), महावन (नरसिंह), महेन्द्र (नृपात्मज), मानसतीर्थ (ब्रह्मेश), माहिष्मती (हुताशन), मेरुपृष्ठ (भास्कर), लिङ्गकूट (चतुर्भुज), लोहित (हयशीषर्क), वल्लीवट (महायोग), वसुरुढ (जगत्पति),वाराणसी (केशव), वाराह (धरणीधर) वितस्ता (विद्याधर), विपाशा (यशस्कर), विमल (सनातन), विश्वासयूष (विश्वेश), वृंदावन (गोपाल), वैकुण्ठ (माल्योदपान), शालग्राम (तपोवास), शिवनदी (शिवकर), शूकरक्षेत्र (शूकर), सकल (गरुडध्वज), सायक (गोविंद), सिंधुसागर (अशोक), हलाङ्गर (रिपुहर), नृसिंह.६५) ।

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कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
See : नरसिंह

नृसिंह     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
nṛsiṃha & नृसिंहजयंती S See the common form नरसिंह & नरसिंहजयंती.

नृसिंह     

Aryabhushan School Dictionary | Marathi  English
See the common form नरसिंह and नरसिंहजयंती.

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मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
See : नरसिंह

नृसिंह     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
नृ—सिंह  m. m. ‘man-lion’, a great or illustrious man, [MBh.] ; [R.]
ROOTS:
नृ सिंह
-क   (also ) विष्णु in his 4th अवतार (cf.नर-स्°), ib. &c.
ROOTS:
-त्व  n. a prayer to as -, [AgP.] (n.)
ROOTS:
त्व
a kind of coitus, [L.]
-चक्रवर्तिन्   N. of sev. authors (also , -ठक्कुर, -देव, -दैवज्ञ, -पञ्चा-नन, -पञ्चा-ननभट्टा-चार्य, -पुरी-परिव्राज्, -भट्टा-चार्य, -मूर्त्य्-आचार्य, वाजपेयिन्, -शास्त्रिन्, -सरस्वती, -सूरि, °हा-चार्य, °हा-चार्य-शिष्य, °हा-नन्द, °हा-रण्य-मुनि and °हा-श्रम), [Cat.]
ROOTS:
चक्रवर्तिन्

नृसिंह     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
नृसिंह  m.  (-हः)
1. Vishṇu.
2. The fourth Avatāra or descent of that deity, in the shape of a man, with the head and claws of a lion. 3. A chief, a noble, a great or illustrious man, a great man.
E. नृ a man, and सिंह a lion; applied in composition, also to signify preeminence.
ROOTS:
नृ सिंह

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