तार्क्षी n. एक पक्षीणी । पूर्वजन्म में, यह वपु नामक अप्सरा थी । दुर्वास ऋषि के शाप से, इसे पक्षियोनि प्राप्त हुई । कंधर तथा पक्षिरुपधारी मदनिका की यह कन्या बनी । द्रोण नामक पक्षी इसका पति था । भारतीय युद्ध के समय, यह गर्भवती थी । गर्भवती अवस्था में, कौरव पांडवो के युद्धक्षेत्र के ऊपर से यह जा रही थी । उडते उडते उस स्थान पर यह आई, जहॉं अर्जुन तथा भगदत्त का युद्ध हो रहा था । अर्जुन के बाण से इसका उदर विदीर्ण हुआ । उसमेंसे चार अंडे नीचे गिरे । इसी समय सुप्रतीक नामक हाथी के गले की प्रचंड घंटा नीचे गिरी । ताक्षी के चार अंडो को, बीच के पोले भाग में ले कर, वह घंटा कीचड में फँस गई। बाद में शमीक ऋषि उन अंडो को ले गया
[मार्क.३.३१-४४] । इसी समय तार्क्षी की मृत्यु हो गई । उन अंडे से बाहर निकले बच्चे, पिंगाक्ष, विबोध, सुपुत्र तथा सुमुख ये नाम से प्रसिद्ध हुएँ ।