Dictionaries | References

मन-काळीज

   
Script: Devanagari

मन-काळीज

कोंकणी (Konkani) WordNet | Konkani  Konkani |   | 
 noun  काळीज आनी मन   Ex. ताचे सादेपण म्हज्या मना-काळजांत अजून मेरेन उरला
ONTOLOGY:
शारीरिक वस्तु (Anatomical)वस्तु (Object)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
hinदिलो दिमाग़
kanಮನಸ್ಸು ಬುದ್ಧಿ
kasدِلو دٮ۪ماغ

Related Words

काळीज हादरवणारा   काळीज हालोवपी   मन-काळीज   काळीज   मन   मन मारप   मन मारना   मन मारणे   दिलो-दिमाग़   دِلو دٮ۪ماغ   ಮನಸ್ಸು-ಬುದ್ಧಿ   काळीज काढून देणें   काळीज ठिकाणी नसणें   काळीज कलकलणी   काळीज पिळपी   काळीज धडधडणी   काळीज चिरपी   काळीज पिंजपी   काळीज तडकणें   psyche   पाठीवाटे काळीज निघणें   काळीज काढून टाकणें   काळीज काढून पुढें ठेवणें   करमणे   मन राजा, मन प्रजा   धर्मसावर्णि मन   मन मनाविणें   मन गडबडणें   मन मुंडणें   मन घालणे   मन घालणें   मन जाणें   मन देणें   मन लावणें   दिल दहलानेवाला   ഹൃദയം തകർക്കുന്ന   ಮನಸ್ಸಿಗೆ ನಡುಗಿಸುವುದು   nous   मन बसणें   मन लागणें   शुद्ध मन   मन कांपणें   मन तुटणें   मन नपर्दो   मन विटणें   मन धरणें   मन लगना   mind   मन उठणें   मन उडणें   मन मोडणें   मन भरना   ആലോചിക്കുക   ಇಷ್ಟವಾಗು   heart   आवैचे मन कांतली, भुर्ग्याचे मन करटी   उद्योगानें मन स्वच्छ राहते, आळसानें मन खातें   मन पळोन धन   brain   मन राजा, मन परजा, मनाले कोण वरजा   संशयि मन सावळेक भित्ता   संशयी मन सावळेक भित्ता   अंदाधुंद मन हरा गाय   खालीवर मन होणें   मन दुग्ध्यांत पडणें   रिकामें मन सैतानाचं धन   रिकामें मन सैतानाचं सदन   काळीज खाणें   काळीज चिरणें   काळीज फाटणें   काळीज फुटणें   काळीज फोडणें   उफराटें काळीज   टांचेचे काळीज   टाचेचें काळीज   मन मानेल तो सौदा   नापसंद   तुझें मन माझे साक्षीशी आणि माझें मन तुझे परीक्षेशी   देव मन पाळौन धन दिता   अंग उदकान नितळ, मन सतान   आंग उदकान नितळ, मन सतान   रिकामें मन आणि कुविचाराची धन   ज्‍याचें मन त्‍याला ग्‍वाही देतें   मन चिंती तें वैरी चिंतीना   विटलें मन आणि फुटलें मोतीं सांधत नाहीं   वैरी न चिंती तें मन चिंती   काळीज दो जागा होणें   काळीज धडधड उडणें   काळीज पाठीमागें असणें   काळीज पाठीमागें टाकणें   काळीज भेदून जाणें   पाठीस काळीज असणें   पोटांत हरणाचें काळीज शिरणें   सुपाएवढें काळीज होणें   कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून   हृदय विदारक   आपले मन जिंकी, तो धन्य म्हणावा लोकीं   मन नाहीं थिरी, उगीच तीर्थ करी   मन नाहीं स्थिरी, बहु तीर्थ करी   देवु जाला लागी, मन गेलें दूर   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP