मोहन मोहन जील निस दिन मैं रटूँ जी ।
कोई मोहन जीवन प्राण दरस दिवानी जी ।
साँवरिया प्यारा आपकी जी ॥१॥
साँवरी सूरत परजीक बारीगोपियाँ जी ।
कोई मोहलई ब्रजनार सार विसारीजीक ।
सुधबुध जगत की जी ॥२॥
मुख पर मुरलीजीक बाजे मोहनजीक ।
कोई गल वैजयन्ती माल मुकुट पिताम्बरजीक ।
कटिमैं काछनीजी ॥३॥
बैनु बजावोजीक कान्हा सोहनीजी ।
और दिखावो नाच गान सुनावो जी ।
माखनजद मिलेजी ॥४॥
धेनु चरावतरेक बाबा नन्दजीकी ।
कोई माँगत दधिको दान रीत चलावो रे ।
कान्हा तूँ नई जी ॥५॥