श्रीकृष्ण बुलावे, झूलण चालो राधा बाग में ॥ टेर॥
झूलण चालो बाग माँयने, सज सोला सिंगार,
तरह तरह का पहर आभूषन, गल मोतियन को हार ॥१॥
मलयागिरि का बन्यो हिन्डोरो, लग्या रेशम तार,
दुरमोर बोले. पीव-पीव करे पुकार,
घन गरजे और बिजली चमके, शीतल पड़े फुवार ॥४॥
शिव सनकादिक ब्रह्मा ध्यावे, कोइय न पायो पार,
दास नारायण शरण आपकी, करियो बेड़ा पार ॥५॥