आछो दधि दूँगी रे साँवरिया थोड़ी मुरली बजाय, दधि दूँगी ॥
ऐसी बजाय जैसी जमुना ऊपर बाजी रे, बहतो नीर तुरंग थम जाय ॥
ऐसी सुनाय जैसी माधोवनमें बाजी रे, चरती धेनु मगन हो जाय ॥
ऐसी बजाय जैसी वृन्दावनमें बाजी रे, संगकी सहेली मगन हो जाय ॥
‘चन्द्रसखी’ भज बालकृष्ण छबि, हरिके चरणमें चित्त लगाय ॥