मारे मति मैय्या वचन भरवाय ले ।
वचन भरवाय ले सौगन्ध कढवाय ले ॥टेर॥
गंगाकी खवाय ले चाहे जमुनाकी खवाय ले ।
क्षीर सागरमें मैय्या ठाड़ो करवाय ले ॥१॥
गैय्यनकी खवाय ले चाहे बछड़नकी खवाय ले ।
नन्दबाबाके आगे ठाड़ो करवाय ले ॥२॥
गोपियनकी खवाय ले चाहे ग्वालनकी खवाय ले ।
दाऊ भैयाके माथे हाथ धरवाय ले ॥३॥